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मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच राज्यपाल लालजी टंडन होली की छुट्टी मनाकर 12 मार्च की रात को भोपाल लौट आए हैं. अब 13 मार्च को ही सुबह सबसे पहले राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनसे मुलाकात कर ली है. मध्य प्रदेश के 22 विधायकों ने अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इनमें से 19 विधायक बेंगलुरु में हैं और ये सारे के सारे विधायक कांग्रेस के हैं. वहीं राज्य सरकार ने बेंगलुरु गए 6 मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफाारिश राज्यपाल से की है. अब राज्यपाल इस सिफारिश पर फैसला कर सकते हैं.
राज्य सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसौदिया के अलावा विधायक हरदीप सिंह डंग, जसपाल सिंह जज्जी, राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, मुन्ना लाल गोयल, रघुराज सिंह कंसाना, कमलेश जाटव, बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़, गिरराज दंडौतिया, रक्षा संतराम सिरौनिया, रणवीर जाटव, जसवंत जाटव ने अपने इस्तीफे राज्यपाल को भेज दिए हैं.
मध्यप्रदेश में कुल विधायकों की कुल संख्या 230 है. फिलहाल दो विधानसभा सीटें खाली हैं. मतलब अभी कुल सीटें हैं 228. यानी राज्य में किसी सरकार को बहुमत के लिए चाहिए 115 सीटें. कांग्रेस पहले से 121 विधायकों के सरकार के समर्थन का दावा करती रही है. लेकिन अब 20 से ज्यादा विधायकों ने राज्यपाल को इस्तीफा दे दिया है. ऐसे में अगर इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होता है तो कमलनाथ की सरकार गिरना तय है.
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में दावा किया गया है कि कमलनाथ सरकार विधानसभा में अपना बहुमत साबित करेगी. कांग्रेस के एक मंत्री ने मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित इस बैठक में शामिल होने के बाद कहा कि इस बैठक में सरकार को समर्थन देने वाले चार निर्दलीय विधायक भी शामिल हुए थे, इससे कांग्रेस को थोड़ा और बल मिला है.
(IANS के इनपुट के साथ)
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