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मध्य प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने कथित हनी ट्रैप मामले में 1000 से ज्यादा वीडियो की जांच कर रही है. एसआईटी एक सदस्य ने बताया, इन वीडियो के जरिए न सिर्फ वीआईपी लोगों को ब्लैकमेल किया जाता था, बल्कि लड़कियों को ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को फंसाने के लिए भी उकसाया जाता था.
पुलिस ने ये वीडियो तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र) में फैले हनीट्रैप का नेटवर्क चला रहे लोगों के फोन-लैपटॉप से बरामद किए हैं. पुलिस के मुताबिक, इन लोगों ने न सिर्फ रुपये वसूले, बल्कि उन वीआईपी लोगों की मदद से सरकारी ठेके भी हासिल किए.
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों से बताया कि मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के लैपटॉप और मोबाइल से 4000 से ज्यादा फाइलें बरामद की हैं. इन फाइलों में ऑडियो रिकॉर्डिंग, वीडियो क्लिप और चैट के स्क्रीनशॉट शामिल हैं. राज्य के नौकरशाहों, राजनेताओं और व्यापारियों को कथित रूप से ब्लैकमेल करने के लिए इन फाइलों का इस्तेमाल किया जाता था.
पुलिस ने कहा, "हमने कॉलेज प्रशासन और मोनिका के माता-पिता से पूछा कि वह क्यों और कैसे हनी ट्रैप के जाल में फंस गई. मोनिका ने ये भी बताया कि वह पिछले चार महीनों से भोपाल के एक फ्लैट में मुख्य आरोपी आरती के साथ रह रही थी."
एक आरोपी लड़की के पिता की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एसआईटी ने मानव तस्करी से संबंधित धाराओं में भी एफआईआर दर्ज की है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसकी बेटी और कई दूसरे लोगों को मुख्य आरोपी आरती को ग्रुप ने फंसाया.
उन्होंने आरोप लगाया है कि हनीट्रैप के मास्टरमाइंड ब्लैकमेलिंग करके लड़कियों को झूठे वादे करके फुसलाते हैं और फिर उन्हें देह व्यापार के लिए मजबूर करते हैं. पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 370, 370 (ए) और 120 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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