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MP सेक्स स्कैंडल: ‘ईमानदारी से जांच हुई तो पूरा सिस्टम हिल जाएगा’

हनी ट्रैप में IAS और IPS अफसरों के नाम आए हैं तो ऐसे में क्विंट को पता लगा है कि उनको बचाने की कोशिशें हो रही हैं

पूनम अग्रवाल
भारत
Updated:
एमपी हनी ट्रैप मामले के तार बड़े-बड़े नेताओं और अफसरों से जुड़ रहे हैं
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एमपी हनी ट्रैप मामले के तार बड़े-बड़े नेताओं और अफसरों से जुड़ रहे हैं
(फोटो : अख्तर/क्विंट हिंदी)

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मध्य प्रदेश का हनी ट्रैप मामला बड़ा होता जा रहा है. क्विंट को बीजेपी-आरएसएस के 5, कांग्रेस के 1 नेता और 8 आईएएस-आईपीएस अफसरों के नाम पता चले हैं, जिनके वीडियो पुलिस के हाथ लगे हैं.

इस केस में आरोपी श्वेता विजय जैन और आरती दयाल से पूछताछ के दौरान कई हाई प्रोफाइल लोगों का नाम भी निकलकर आए हैं.

इंदौर नगरपालिका के इंजीनियर ने पुलिस में शिकायत की थी कि उनको ब्लैकमेल किया जा रहा है. नगरपालिका के इंजीनियर के मुताबिक, उनको आपत्तिजनक वीडियो लीक करने का डर दिखाकर 3 करोड़ रुपये के लिए ब्लैकमेल किया जा रहा था. इसके बाद हनी ट्रैप रैकेट चलाने के आरोप में 18 और 19 सितंबर को इंदौर से 5 महिलाओं और 1 पुरुष को गिरफ्तार किया गया था.

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इस मामले में पुलिस ने श्वेता विजय जैन (39), आरती दयाल (28), बरखा सोनी (34), मोनिका यादव (18) और ओमप्रकाश कोरी (45) को आरोपी बनाया है.

इस केस के बारे में बात करते हुए स्पेशल जांच टीम के अधिकारी रुचिवर्धन मिश्रा ने बताया है कि इस केस में कई हाई प्रोफाइल लोग शामिल हैं.

‘’गैंग का मकसद था नेताओं, अफसरों और आईपीएस अफसरों के संपर्क में आना, छुपकर मोबाइल या जासूसी कैमरे उनका वीडियो बना लेना. इसके बाद उन्हें पैसों और बाकी कामों के लिए ब्लैकमेल करना. हमें छापेमारी के दौरान हार्ड डिस्क में कई वीडियो मिले हैं. मामले की जांच हो रही है.’’
रुचिवर्धन मिश्रा, एसएसपी इंदौर

एसएसपी मिश्रा ने कहा कि अभी मीडिया को ज्यादा जानकारी नहीं दी जा सकती है, इससे जो लोग इस रैकेट में शामिल हैं, वो सतर्क हो जाएंगे. फिर भी इन हाई प्रोफाइल लोगों में से कई अभी भी अपने पदों पर बैठे हुए हैं, क्या इससे सिस्टम में कुछ असर नहीं पड़ेगा?

छापेमारी में जब्त किए गए कई मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है.

अफसरों को बचाने की हो रही है कोशिश

अब जब इस रैकेट में कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के नाम सामने आए हैं, तो ऐसे में क्विंट को पता लगा है कि उनको बचाने की कोशिश हो रही है.

एक अधिकारी ने बताया:

‘’मेरे सीनियर अधिकारियों ने मुझसे इस केस से कुछ आईपीएस अधिकारियों के नाम हटाने के लिए कहा था. मुझे नहीं पता, जब तक जांच पूरी होगी, तब तक कितने अफसरों के नाम और वीडियो इस केस से गायब हो चुके होंगे.’’

जांच के दौरान ये बात भी निकलकर आई थी कि इस मामले में छत्तीसगढ़ के भी अधिकारी लिप्त हैं. इस गैंग के पीछे श्वेता जैन का ही दिमाग था.

मोनिका यादव के अलावा बाकी की आरोपी महिलाएं एनजीओ चलाती हैं, जहां से मासूम लड़कियों को नौकरी के नाम पर बहलाया-फुसलाया जाता था और फिर इस रैकेट में धकेल दिया जाता.

‘’मैं आपको बता रहा हूं कि अगर एसआईटी ने ईमानदारी से जांच की तो पूरा सिस्टम ही ध्वस्त हो जाएगा, क्योंकि बहुत सारे कार्यरत आईएएस और आईपीएस सस्पेंड होंगे. पुलिस 2 हफ्ते से इस केस में जांच कर रही है. वो क्यों नहीं हाई प्रोफाइल नामों का खुलासा कर रही हैं? इस गैंग और हाई प्रोफाइल लोगों की मिलिभगत ने मध्य प्रदेश के पूरे सिस्टम को जोखिम में डाल दिया है’’
मध्य प्रदेश पुलिस अफसर (<b>क्विंट</b> से बात करते हुए)

क्या शिकायतकर्ता को FIR दर्ज करने के लिए ब्लैकमेल किया गया या धमकाया गया?

क्या इंदौर नगरपालिका से सस्पेंड किए गए इंजीनियर हरभजन सिंह के शिकायत करने के बाद इस हनी ट्रैप का भंडाफोड़ हुआ? या फिर राज्य के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल के लिए उनका इस्तेमाल किया गया?

क्विंट को इनवेस्टीगेशन के दौरान पता चला कि शिकायत करने वाले अफसर का गैंग की मास्टरमाइंड श्वेता जैन के साथ साल 2008 से ही संबंध हैं.

साल 2017 में श्वेता जैन ने हरभजन सिंह को गैंग की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण सदस्य दयाल से मिलवाया. सूत्रों के मुताबिक, सिंह और दयाल को एक वीडियो में कॉम्प्रोमाइजिंग अवस्था में देखा गया.

अब यहां ये सवाल उठता है कि क्या हरभजन सिंह का श्वेता जैन और दयाल दोनों के साथ संबंध था, तो अब हरभजन को किस बात के लिए ब्लैकमेल किया जा रहा है? और FIR में हरभजन ने दोनों का नाम क्यों नहीं लिया?

क्विंट को दयाल और श्वेता जैन के दिए बयान भी मिले हैं.

श्वेता जैन ने कहा है कि साल 2008 से ही हरभजन सिंह ने उसकी और उसके भाई की सरकारी ठेके दिलाने में मदद की है. श्वेता ने ये भी कहा है कि 17 सितंबर को हरभजन के शिकायत करने से कुछ दिन पहले भी तीनों एक होटल में मिले थे. तब तक तीनों के बीच कोई भी मसला नहीं था.

तो फिर इस मुलाकात और 17 सितंबर के बीच ऐसा क्या हुआ जिसने हरभजन सिंह को शिकायत करने पर बाध्य कर दिया?

मध्य प्रदेश पुलिस को सेक्स स्कैंडल के बारे में पहले से पता था

जुलाई 2019 में भोपाल के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अफसर का एक सेक्स वीडियो वायरल हुई था. रिपोर्ट्स के मुताबिक वो अफसर सस्पेंड हो गया था और पुलिस की ओर से जांच हुई थी.

हालांकि शिकायत न होने की वजह से FIR दर्ज नहीं की गई थी. सूत्रों के मुताबिक उस वीडियो में जो औरत दिखी थी, वो भी जैन की गैंग से ही थी.

क्विंट को पता चला है कि पुलिस ने जांच के दौरान कई सारे मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर रखा था, जिसमें सिंह का भी नंबर था. गैंग से संबंध होने की वजह से सिंह का नंबर रडार पर आया था.

‘’सेक्स वीडियो की जांच के दौरान सीनियर पुलिस अधिकारियों को लगा था कि इस केस में कई हाई प्रोफाइल लोग भी शामिल हो सकते हैं. लेकिन भंडाफोड़ तभी होता जब कोई शिकायत दर्ज कराता. इसलिए हरभजन सिंह पर शिकायत दर्ज करने के लिए दबाव बनाया गया.’’
सीनियर पुलिस अधिकारी

लेकिन हरभजन सिंह से किसके आदेश पर संपर्क किया गया?

पुलिस ने CrPC के सेक्शन 164 के तहत हरभजन सिंह के मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान को रिकॉर्ड कर लिया था. उन्होंने इस केस में आरोपी मोनिका यादव को गवाह भी बना दिया है.

मोनिका ने आरोप लगाया है कि दयाल ने उससे आगे की पढ़ाई और नौकरी के लिए मदद का वादा किया था. मोनिका के पिता की शिकायत पर पुलिस ने मानव तस्करी की एक अलग से भी एफआईआर दर्ज की है.

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Published: 01 Oct 2019,08:05 AM IST

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