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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर जिले के अमलाह गांव से कथित छूआछूत का मामला सामने आया है. यहां, मंगलवार 13 जून को आयोजित भंडारे में सर्वणों और दलित समाज के लिए अलग-अलग टेंट लगाकर खाना खिलाने का आरोप लगाया गया है. इस कथित भेदभाव को लेकर दलित समाज के लोगों ने आपत्ति जताई है.
गांव के अमित दलित समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया है कि उनको अलग टेंट में बैठाकर भोजन कराया गया. उन लोगों ने पूरे मामले की पुलिस में शिकायत की, जिसके बाद मौके पर पहुंची ने ऐसे आरोपों से इंकार कर दिया.
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि, "ये गांव की पुरानी प्रथा है. यहां फूट डालो और राज करने की साजिश की जा रही है. ये चाहते हैं कि सभी समुदाय के लोग एक न हो पायें. हमें गांव के मंदिर में भी जाने से रोका जाता है. यहां बांटने और दबाने की कोशिश हो रही है लेकिन अब हम जाग गये हैं तो ऐसा नहीं हो पायेगा."
इस पूरे मामले में गांव के दलित समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया और जातिवाद को खत्म करने की मांग की.
हालांकि, अमलाहा चौकी प्रभारी अविनाश भोपले ने कहा, "वहां कई टेंट लगे हैं. लेकिन छुआछूत जैसी कोई बात सामने नहीं आ रही है. कुछ लोगों ने नशा किया हुआ है वही ऐसी बातें फैला रहे हैं."
बता दें कि इससे पहले एमपी के राजगढ़ से ही एक मामला सामने आया था,जहां दलित समाज की शादी के समारोह में भोजन करने पर दूसरे समाज के युवक को सजा सुनाई गयी. उस पर 5100 रुपए का जुर्माना लगाया गया, साथ ही उसको मुंडन व स्नान कराने का भी फरमान सुनाया गया.
इसको लेकर दलित समाज ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और फैसला ना वापस लेने पर हिन्दू धर्म छोड़ने की धमकी तक दे दी. बाद में यह तुगलकी फरमान उक्त समाज के लोगों ने वापस ले लिया.
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