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महाराष्ट्र में बल तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किए गए पांच मदरसा शिक्षकों के खिलाफ दर्ज दो आपराधिक मामले बंद कर दिए गए हैं. मनमाड और भुसावल जीआरपी (GRP) ने शिक्षकों को मई 2023 में गिरफ्तार किया था, जिसके बाद वो चार सप्ताह तक जेल में बंद थे.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, महाराष्ट्र रेलवे के डीजीपी प्रदन्या सरवडे ने पुष्टि करते हुए कहा कि केस को मार्च में ही बंद कर दिया गया था. क्योंकि जांच के बाद पता चला था कि एफआईआर "गलतफहमी" के कारण दर्ज की गई थी.
दरअसल, 30 मई, 2023 को बिहार के अररिया जिले के 8 से 17 आयु वर्ग के 59 बच्चे मदरसों में पढ़ाई करने के लिए पुणे और सांगली के लिए एक ट्रेन में यात्रा कर रहे थे. इस दौरान दिल्ली में किशोर न्याय बोर्ड और रेलवे बोर्ड से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी की सूचना पर कार्रवाई करते हुए आरपीएफ (RPF) ने एक एनजीओ के साथ मिलकर भुसावल और मनमाड स्टेशनों पर बच्चों को मुक्त कराया.
इन बच्चों को 12 दिनों के लिए नासिक और भुसावल के आश्रय गृहों में रखा गया था, क्योंकि अधिकारियों को संदेह था कि बाल श्रम के लिए उनकी तस्करी की जा रही थी. लेकिन नाराजगी जताते हुए परिवारों वालों ने बच्चों की वापसी की मांग की, और नासिक जिला प्रशासन बाद में उन्हें वापस बिहार ले गया.
गिरफ्तार किए गए लोगों में सांगली निवासी मोहम्मद अंजुर आलम मोहम्मद सैयद अली (34); और अररिया निवासी सद्दाम हुसैन सिद्दीकी (23), नोमान आलम सिद्दीकी (28), इजाज जियाबुल सिद्दीकी (40), और मोहम्मद शाहन-अवाज हारून (22). इन पर मानव तस्करी का आरोप था.
जांच के दौरान, जीआरपी अधिकारियों ने अररिया का दौरा किया और आरोपियों और बच्चों की पहचान की पुष्टि की. उन्होंने उस मदरसे का भी निरीक्षण किया, जहां बच्चों को ले जाया जाना था.
भुसावल जीआरपी के इंस्पेक्टर विजय घेराडे ने भी कहा कि उन्होंने भी अदालत में सी-समरी क्लोजर रिपोर्ट दायर की है.
पांचों शिक्षकों को आपराधिक रिकॉर्ड से मुक्त कर दिया गया है लेकिन झूठे आरोपों का गंभीर व्यक्तिगत प्रभाव पड़ा है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मोहम्मद शाहनवाज हारून ने कहा:
सद्दाम हुसैन सिद्दीकी ने बताया, "मेरे पास सभी बच्चों के आधार कार्ड थे और मैंने पुलिस को वीडियो कॉल के माध्यम से उनके माता-पिता से जुड़ने की पेशकश की, लेकिन उन्होंने स्थानीय सरपंच या माता-पिता से एक अधिकार पत्र की मांग की, जो हमारे पास नहीं था. मेरे माता-पिता इतने डरे हुए थे कि उन्होंने कई दिनों तक खाना नहीं खाया.
शिक्षकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील नियाज अहमद लोधी ने कहा, “हमने इन आधारहीन एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था. पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि उन्हें कोई ठोस सबूत नहीं मिला और वे मामले को बंद कर रहे हैं.
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