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वीर सावरकर की पुण्यतिथि के मौके पर महाराष्ट्र में विपक्ष सावरकर के गौरव का प्रस्ताव लेकर आई. विपक्ष की मांग को विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने खारिज कर दिया जिसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ. बीजेपी नेता सुधीर मुंगनटीवार ने विधानसभा नियम के मुताबिक अध्यक्ष को वीर सावरकर के गौरव प्रस्ताव की विनती की थी. बीजेपी का कहना है की सावरकर का जन्म महाराष्ट्र में हुआ है. देश को स्वतंत्रा दिलाने में उनके विचारों ने बड़ी अहम भूमिका निभाई थी, लिहाजा उनके इन कार्यों का गौरव होना चाहिए.
बीजेपी के प्रस्ताव में लिखित भाषा पर मंत्री नेता छगन भुजबल ने आपत्ति जताते हुए नियम के हिसाब से प्रस्ताव ना होने की बात कही, तो नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने भाषा पर सवाल उठाने वाले भुजबल पर घेरते हुए कहा कि भाषा अगर ठीक नहीं तो उससे कामकाज से निकाल दीजिए.
खास बात ये रही कि सावरकर के मुद्दे पर सरकार को घेर रही बीजेपी को जवाब देने के लिए कांग्रेस का कोई मंत्री सामने नहीं आया. उधर संसदीय कार्यमंत्री अनिल परब ने कहा कि भारत सरकार पहले सावरकर को भारत रत्न से सनमानित करे, उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा में सावरकर और पीएम मोदी दोनों के अभिनंदन का प्रस्ताव सरकार लाएगी.
सावरकर के मुद्दे पर आक्रामक रहने वाली शिवसेना भले ही महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रही हो लेकिन सचाई ये भी है कि कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन पर ये सरकार टिकी हुई इस लिए सत्ता की मजबूरी को ध्यान में रखकर फैसला लेना पड़ रहा है. यही वजह भी रही की जिस वक्त बीजेपी ने सावरकर के गौरव का मुद्दा सदन में उठाया तो सीएम ठाकरे सदन में मौजूद नहीं थे.
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