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महाराष्ट्र के किसान पहले कोरोना वायरस फिर लॉकडाउन और अब मौसम की मार झेल रहे हैं. बैगन, टमाटर और हल्दी की फसल पर पहले ही लॉकडाउन का प्रभाव दिख रहा है. वहीं, विदर्भ के किसानों की मुश्किल तब और बढ़ रही है जब बे मौसम बारिश से संतरे की फसल खराब हो रही है.
विदर्भ के किसान दोहरे संकट में हैं. एक तरफ बेमौसम बारिश ने हजारों एकड़ पर लगी संतरे की फसल पर गहरी चोट पहुंचाई है, तो दूसरी ओर कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते न ही संतरा तोड़ने वाले मजदूर मिल रहे हैं न ही माल की सप्लाई हो पा रही है.
महाराष्ट्र का अमरावती जिला संतरे की खेती के लिए जाना जाता है. करीबन 45 हजार हेक्टेयर जमीन पर संतरे की खेती की जाती है. कुछ जानकार कोरोना वायरस से बचने के लिए संतरे के सेवन की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में संतरे की मांग बाजार में बढ़ी है. लेकिन किसानों को बाजार तक संतरे पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं मिल रही है.
किसान संजय राठौड़ कहते हैं कि हमलोगों पर चारों ओर से आफत आ गई है. एक तरह कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से मजदूर नहीं मिल रहे हैं. वहीं, ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं होने से माल की सप्लाई भी नहीं हो पा रही है. पूरे इलाके में अब तक करोड़ों का नुकसान की आशंका है. हम सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
किसान ने कहा, इस बार बैगन, हल्दी और टमाटर की खेती अच्छी हुई है. लेकिन फसल की कटाई के बाद भी माल खेतों में ही खराब हो रहे हैं.
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का प्रभाव सबसे ज्यादा दिखा है. इस वजह से सरकार ने सभी जिलों के बॉर्डर भी सील कर दिए हैं. कुदरत के कहर से पहले ही किसान परेशान है ऐसे में अगर सरकार उनके नुकसान की भरपाई करने में असफल होती है तो किसान हताश हो जाएंगे. एनसीपी प्रमुख शरद पवार पहले ही किसानों की हालत पर चिंता जता चुके हैं.
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