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महाराष्ट्र (Maharashtra) के अहमदनगर में बकरी और कबूतर चोरी के शक में 4 दलितों को पेड़ से उल्टा लटकाकर पीटने का मामला सामने आया है. पीड़ित शुभम मघाडे ने इस घटना की रौंगटे खड़े करनेवाली कहानी बयां की है. शुभम ने बताया "युवराज गलांडे और मनोज बोडखे ने हमारे कपड़े उतार दिए और हमारे मुंह में पेशाब किया. फिर उन्होंने अपने जूते पर से थूक को चटवाया. शुभम का दावा है कि इस दौरान आरोपी लगातार बोले रहे थे 'पिछड़े अपने आप को ज्यादा समझने लगे हैं' और 'हमलोग दिखाएंगे कि हम मराठा हैं.'
21 साल के नर्सिंग के छात्र शुभम मघाडे उन चार दलित लड़कों में से एक हैं, जिन्हें आरोपी के घर से बकरी और कबूतर चुराने के शक में छह लोगों ने बांधकर पीटा. 27 अगस्त को इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
शुभम मघाडे महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के श्रीरामपुर के हरेगांव गांव के रहनेवाले हैं. शुभम ने काफी कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था. वे अब अपनी दादी के साथ रहते हैं. एफआईआर में उन्होंने चार पीड़ितों की आपबीती बताई, जिसमें से तीन नाबालिग हैं.
वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के सदस्य चरण त्रिभुवन से मिलने से पहले चारों पीड़ितों के परिजन एफआईआर दर्ज करने में हिचकिचा रहे थे. त्रिभुवन ने FIR दर्ज कराने में परिवार की मदद की.
क्विंट से बातचीत में, त्रिभुवन ने बताया "इस बात की न पुष्टि हुई है और न ही सबूत है कि पीड़ितों ने आरोपियों के पास से कुछ भी चुराया है. वे लोग सुबह में दो नाबालिग लड़कों को ले गए और उन्हें दोपहर तक रखा. जब वे घर लौटे तो उनमें से एक के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. उनलोगों ने लड़कों पर थूका और उनपर पेशाब किया."
इसके बाद वो शुभम मघाड़े को ले गए. उसके एक दोस्त ने आरोपियों को मघाड़े को ले जाते हुए देख लिया था. जिसके बाद उसे शक हुआ और वह उनके पीछे-पीछे गया, जहां से शुभम मघाड़े की चीखने की आवाज आ रही थी. दोस्त ने आरोपियों को शुभम मारते हुए देखा तो उसने सवाल किया. जिसपर आरोपी ने कहा कि शुभम ने उनके कबूतर चुराए थे और वह उससे कबूल करवाना चाहता है."
त्रिभुवन ने आरोप लगाया कि घटना के बाद एक नाबालिग की मां ने युवराज गलांडे के परिवार का विरोध किया. जिसपर आरोपी ने पीड़ित की मां को धमकी दी कि अगर वह वहां से नहीं गई तो वह उसे भी उसके बेटे की तरह पेड़ पर लटका देंगे.
जब घटना हुई, त्रिभुवन गांव में नहीं थे. वे लौटे तो मघाड़े उनके पास पहुंचा. त्रिभुवन आगे बताते हैं कि "उन्होंने मुझे वीडियो दिखाया. यहां तक कि जब मैं उनके साथ था, तब भी उन्हें गलांडे और अन्य आरोपियों के लगातार फोन आ रहे थे कि वे पुलिस के पास न जाए और विवाद को खत्म करें.
उन्होंने आगे कहा कि यदि वे पुलिस को सूचना दिए बिना गांव लौटते तो संभावना थी कि आरोपी के परिवार उन्हें परेशान करते और उनपर दबाव बनाते. इसलिए, मैं उन्हें इलाज के लिए सबसे पहले श्रीरामपुर सिविल अस्पताल ले गया और भर्ती कराया. इसके बाद हमने पुलिस से संपर्क किया, जिन्होंने अगले दिन उनके बयान लिए और हमने एफआईआर दर्ज करवाई."
अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कोई भी पीड़ित किसी चोरी का जिम्मेदार था. छह आरोपियों की पहचान युवराज गलांडे, मनोज बोडाके, पप्पू पारखे, दीपक गायकवाड़, दुर्गेश वैद्य और राजू बोरेज के रूप में हुई है.
धारा 307 (हत्या का प्रयास)
धारा 364 (हत्या के इरादे से अपहरण)
धारा 342 (गलत तरीके से कैद करना)
धारा 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा)
धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान)
धारा 147 (दंगा करने के लिए सजा)
धारा 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस)
धारा 149 (यदि विधिविरुद्ध जनसमूह के किसी सदस्य द्वारा उस जनसमूह के समान लक्ष्य का अभियोजन करने में कोई अपराध किया जाता है)
त्रिभुवन ने अब पीड़ितों के परिवारों के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की है. उन्होंने कहा कि "पीड़ितों के परिवार को किसी भी तरह के दबाव से बचाए जाने के लिए उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए. मैंने इसके लिए पुलिस और जिला मजिस्ट्रेट को लिखा है."
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