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महाराष्ट्र (Maharashtra) के जालना में मराठा आरक्षण (Maratha Reservation Protest) की मांग को लेकर एक हफ्ते से जारी आंदोलन शुक्रवार, 1 सितंबर को अचानक हिंसक हो गया. इसके बाद से प्रदेश की राजनीति गरमा गई है.
पूर्व मुख्यमंत्री उद्दव ठाकरे ने पूरे महाराष्ट्र को पैरों पर खड़ा कर देने की चेतावनी दी तो देवेंद्र फडनवीस से उपमुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने की मांग भी शुरू हो गई है. आईए देखते हैं कि ये प्रदर्शन क्या है और इसपर किसने क्या कहा है?
1 सिंतबर को ये आंदोलन अचानक हिंसक हो गया. पुलिस का आरोप है कि लोगों ने पत्थरबाजी की और प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इस हिंसा में लगभग 40 पुलिस वालों को चोटें आई हैं और कई प्रदर्शनकारी भी घायल हुए. इसके बाद शिवसेना नेता (UBT) उद्धव ठाकरे सरती अंतरवाली गांव में प्रदर्शन कर रहे लोगों से 2 सितंबर को मिलने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार से संसद के विशेष सत्र में मराठा आरक्षण के लिए कानून लाने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार को भी घेरा.
NCP प्रमुख शरद पवार भी जालना में प्रदर्शनकारियों से मिलने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने देवेंद्र फडनवीस के इस्तीफे की मांग कर दी. उन्होंने कहा, "हम सभी अस्पताल में घायलों से मिले... यह घटना बहुत गंभीर है और अगर प्रभावित लोगों को सांत्वना नहीं दी गई या उनकी देखभाल नहीं की गई, तो संभावना है कि ये घटना पूरे महाराष्ट्र में फैल सकती है."
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को कोई रास्ता निकालने के लिए इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.
कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने भी सरती अंतरवाली गांव में प्रदर्शन कर रहे लोगों से मुलाकात की. कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष (विधानसभा) विजय वडेट्टीवार और शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे और आम आदमी पार्टी ने भी सरकार की आलोचना की है. छत्रपति उदयनराजे भोसले ने पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की.
महाराष्ट्र सरकार इस मुद्दे पर संभल कर कदम रख रही है. सरकार का कोई भी मंत्री अनावश्यक बोलने से बच रहा है. हाल ही में सरकार में शामिल हुए NCP नेता अजीत पवार ने लोगों से शांती की अपील करते हुए कहा, "हम पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से राज्य के कुछ हिस्सों में चल रही हिंसा को रोकने के लिए आगे आने की अपील करते हैं."
दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले, फड़नवीस और अन्य मंत्रियों सहित कई बीजेपी नेताओं ने शिक्षा और नौकरियों में मराठा आरक्षण के लंबे समय से लंबित मुद्दों को हल करने में विफल रहने के लिए ठाकरे और पवार की पिछली सरकारों पर ही उंगली उठाई.
इस्तीफे की मांग पर देवेंद्र फडनवीस ने कहा कि जब शरद पवार मुख्यमंत्री थे, तब पुलिस ने आदिवासी गोवारी समुदाय के खिलाफ लाठीचार्ज किया था, जहां 1994 में नागपुर विरोध प्रदर्शन में 103 लोगों की जान चली गई थी. "शरद पवार ने मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ा, तो अब मैं इस्तीफा क्यों दूं?" इसपर शरद पवार ने जवाब देते हुए कहा कि मेरी सरकार के दौरान मधुकर पिचाड सामाजिक न्याय मंत्री थे. नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पिचाड ने 1994 की घटना के बाद कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय अपने लिए आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा है. मनोज जरांगे इसका नेतृत्व कर रहे हैं. मराठाओं की लंबे समय से आरक्षण की मांग को देखते हुए सरकार ने नवंबर 2018 में विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास किया था. इसमें सराकरी नौकरियों और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था. इसके खिलाफ मेडिकल के छात्र हाईकोर्ट चले गए.
हाईकोर्ट ने जून 2019 में आरक्षण को घटाकर शिक्षा में 12 फीसदी और नौकरियों में 13 फीसदी कर दिया, लेकिन इसपर रोक नहीं लगाया, बावजूद इसके कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पार हो रही थी. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में गया. सुप्रीम कोर्ट ने मई 2021 में इस कानून को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया. इसके बाद से एक बार फिर आरक्षण की मांग ने जोर पकड़ लिया.
महाराष्ट्र में किसे कितना आरक्षण
अनुसूचित जाति- 15 फीसदी
अनुसूचित जनजाति- 7.5 फीसदी
अन्य पिछड़ा वर्ग- 27 फीसदी
अन्य- 2.5 फीसदी
कुल- 52 फीसदी
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अब प्रदर्शन हो रहे हैं. जालना में ये प्रदर्शन 1 सितंबर को हिंसक हो गया, जिसमें 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए. इसमें ज्यादातर पुलिसवाले हैं. सरकार ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं.
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