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महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय की सभी मांगें मान ली हैं, जिसके बाद शनिवार (27 जनवरी) तड़के उनका आंदोलन समाप्त हो गया. शिव संगठन नेता मनोज जारांगे-पाटिल और सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने आधी रात के आसपास विस्तृत चर्चा की जो सफल रही.
मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने कहा, "मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अच्छा काम किया है. हमारा विरोध अब खत्म हो गया है. हमारा अनुरोध स्वीकार कर लिया गया है. हम उनका पत्र स्वीकार करेंगे. मैं मुख्यमंत्री के हाथों जूस पीऊंगा."
वहीं, महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा, "मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में मराठा आरक्षण के लिए महाराष्ट्र में जो आंदोलन चल रहा था, वह आज एक समाधान पर पहुंच गया है. आज जो अध्यादेश पारित किया गया है, उसमें सभी समस्याओं का समाधान है . मनोज जारांगे पाटिल ने घोषणा की है कि चूंकि समाधान प्राप्त हो गया है, इसलिए विरोध जारी रखने की कोई आवश्यकता नहीं है."
जानकारी के अनुसार, सरकार ने एक आधिकारिक अधिसूचना (सरकारी संकल्प) जारी की, जिसकी एक प्रति सुबह करीब 5 बजे जारांगे-पाटिल को सौंपी गई. इसके बाद उन्होंने अपनी टीम से परामर्श किया और आंदोलन ख़त्म करने का फैसला किया.
रात भर चले ऑपरेशन में शामिल लोगों में मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा और दीपक केसरकर, सामाजिक न्याय विभाग के सचिव सुमंत भांगे, औरंगाबाद के डिविजनल कमिश्नर मधुकर अरंगल और सीएम के निजी सचिव डॉ अमोल शिंदे जैसे शीर्ष अधिकारी शामिल थे.
सरकार द्वारा मांगे मान लेने के बाद नवी मुंबई में एकत्र हुए लाखों मराठा 6 महीने लंबे अभियान की सफलता पर ढोल बजाते, नाचते और गाते हुए सुबह जश्न मनाने लगे.
मराठा नेताओं ने घोषणा की है कि वे योजना के मुताबिक मुंबई में प्रवेश नहीं करेंगे और आज एक विजय रैली के बाद राज्य भर से यहां आए लाखों लोग घर लौटना शुरू कर देंगे.
(इनपुट-आईएएनएस, इंडियन एक्सप्रेस)
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