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(*पहचान छिपाने के लिए नाम बदले गए हैं.)
महाराष्ट्र (Maharashtra) के बीड (Beed) जिले में रहने वाले 14 साल के हुसैन* ने हाल ही में अपना इंस्टाग्राम एकाउंट डिलीट कर दिया. वो किसी भी सोशल मीडिया साइट पर दोबारा ना लौटने की कसम खाते हुए कहते हैं कि “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन एक इंस्टाग्राम स्टोरी मेरे सबसे बुरे ख्वाब में बदल जाएगी.”
17वीं शताब्दी के मुगल बादशाह औरंगजेब पर एक पोस्ट ने 8 जून को हुसैन को मुश्किल में डाल दिया. इस पोस्ट के चलते उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उनकी धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने का इरादा) और 505 बी (अपराध भड़काने का इरादा) के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई.
23 साल के सोशल वर्कर और एक दक्षिणपंथी समूह हिंदू एकता समिति के एक मेंबर की शिकायत के बाद इस नाबालिग बच्चे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.
शिकायत दर्ज करवाने वाले शख्स ने द क्विंट को बताया कि...
नाबालिग युवक के अंकल ने कहा कि "हुसैन के पिता एक दर्जी हैं. परिवार पैसों से कमजोर है. FIR की वजह से हमें उसका स्कूल बदला पड़ा और नए स्कूल में एडमिशन कराना पड़ा. उन्होंने (हिंदुत्व कार्यकर्ताओं) उससे कहा कि वह सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और इसे पूरे सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया.
इससे पहले जून में बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फणडनवीस ने औरंगजेब से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट पर कोल्हापुर में विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था,
द क्विंट ने ऐसी 10 FIR देखी, कानूनी और राजनीतिक विशेषज्ञों और इतिहासकारों से बात की, यह समझने के लिए कि औरंगजेब की विरासत राज्य में विवाद का विषय क्यों बन गई है?
द क्विंट ने कई जिलों में 10 FIR देखी और सभी आईपीसी की इन धाराओं के तहत दर्ज की गईं:
298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना)
505B (अपराध भड़काने का इरादा)
295ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है)
153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास और भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना.)
इनमें से ज्यादातर मामलों में शिकायतकर्ता या तो राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) जैसे दक्षिणपंथी रुझान वाले राजनीतिक दल से जुड़े थे या हिंदू एकता समिति और सकल हिंदू समाज जैसे हिंदुत्व संगठनों का हिस्सा थे.
मिसाल के तौर पर 10 जून को शहर के सिडको पुलिस स्टेशन में अताउर्रहमान नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जो कथित तौर पर औरंगाबाद का निवासी है, क्योंकि उसने एक सोशल मीडिया पोस्ट अपलोड की थी, जिसमें लोगों को इकट्ठा होने और औरंगजेब की ताजपोशी की सालगिरह मनाने के लिए कहा गया था.
नवपुते ने अपनी शिकायत में कहा कि..
सिडको पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी संभाजी पवार ने कहा कि...
औरंगजेब की फोटो के साथ व्हाट्सएप स्टेटस शेयर करने के लिए 29 वर्षीय मोहम्मद अली मोहम्मद हुसैन के खिलाफ 12 जून को नवी मुंबई के वाशी में एक और केस दर्ज किया गया.
इस मामले में सकल हिंदू समाज (पूरे महाराष्ट्र के दक्षिणपंथी संगठनों का एक समूह) के सदस्यों ने पुलिस स्टेशन में नारे लगए और पुलिस पर कार्रवाई करने का दबाव बनाया. इसके बाद हुसैन को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 41 ए के तहत नोटिस दिया गया.
वाशी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने द क्विंट को बताया
निकम कहते हैं कि "अगर किसी विशेष इलाके में किसी मुद्दे पर बहुत तनाव है और इस तरह की सोशल मीडिया पोस्ट अशांति पैदा कर सकती है तो पुलिस या अदालत यह मान सकती है कि आरोपी का आपराधिक इरादा था."
निकम कहते हैं कि "ऐसे मामलों में होना तो यह चाहिए कि पुलिस इन धाराओं को लागू करने से पहले सरकार की तरफ से नियुक्त एक हाई रैंकिंग ज्यूडीशियल ऑफिसर की कानूनी राय ले. इससे एफआईआर दर्ज करने से पहले पुलिस उनकी सस्टेनेबिलिटी के बारे में जान लेती है. यानी ऐसे मामले अदालत में टिकने वाले हैं या नहीं. लेकिन छोटे गांवों और कस्बों में पुलिस के पास ऐसा सब करने का अनुभव या विशेषज्ञता नहीं है. हालांकि हमें यह समझना चाहिए कि एफआईआर दर्ज करने या दर्ज न करने के परिणाम हो सकते हैं."
मार्च 2022 में औरंगजेब के एक व्हाट्सएप वीडियो को लेकर 19 वर्षीय मोहम्मद मोमिन के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई. इसके चलते उसके पूरे परिवार को महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में अपने पैतृक गांव सावरदे से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.
वह परिवार अब तक घर नहीं लौटा है.
संभाजी भिड़े की अगुवाई वाले शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान से जुड़े स्थानीय लोगों और हिंदुत्व एक्टिविस्ट्स ने इस व्हाट्सएप स्टेटस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उसके बाद मोमिन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को आहत करना) और 505 (2) (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. .
45 सेकेंड लंबे इस वीडियो के बैकग्राउंड वॉयस के साथ औरंगजेब की तस्वीर थी, जिसमें कहा गया था...
वीडियो के साथ एक स्टेटस अपलोड किया गया था जिसमें लिखा था, "औरंगाबाद हमेशा औरंगजेब का रहेगा."
यह वही समय था, जब केंद्र ने औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर 'छत्रपति संभाजीनगर' और उस्मानाबाद शहर का नाम 'धाराशिव' करने को मंजूरी दी थी.
मोमिन के खिलाफ पुलिस शिकायत हटकनंगले तालुका के बीजेपी सदस्य परशुराम चव्हाण ने दर्ज कराई थी.
हालांकि इस जांच के बारे में जानने वाले एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि परिवार ने अपनी मर्जी से गांव छोड़ा है.
औरंगजेब से जुड़ी सबसे हालिया एफआईआर 25 जून को बुलढाना जिले के मलकापुर सिटी पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई. यह एफआईआर कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है. कहा गया है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन औवेसी की एक रैली में कुछ लोगों ने औरंगजेब के समर्थन में नारे लगाए.
मलकापुर सिटी पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अशोक रत्नपारखी ने द क्विंट को बताया कि...
एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद ओवैसी ने टेलीविजन चैनलों पर मुकदमा करने की धमकी दी कि वे गलत खबरें फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि आप झूठ परोस रहे हैं. महाराष्ट्र और पूरे भारत के मुसलमान औरंगजेब के वंशज नहीं हैं.
इम्तियाज जलील ने द क्विंट से कहा कि...
वैसे औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र में सभी पार्टियों की राय कमोबेश एक ही है. मराठा राजा छत्रपति शिवाजी को पूरे राज्य में लोग पूजते हैं, वहीं औरंगजेब को उनके कट्टर दुश्मन के रूप में देखा जाता है. राज्य में शिवसेना, एनसीपी, बीजेपी या कांग्रेस सहित किसी भी राजनीतिक दल ने कभी भी औरंगजेब को लेकर सार्वजनिक सहानुभूति नहीं दिखाई है.
27 साल बाद, जून 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार ने अपनी आखिरी कैबिनेट बैठक में औरंगाबाद का नाम बदलकर 'छत्रपति संभाजीनगर' करने की घोषणा की. छत्रपति संभाजी, छत्रपति शिवाजी के बड़े बेटे थे.
औरंगजेब को लेकर राज्य के कुछ हिस्सों में लोगों के खिलाफ एफआईआर और हिंसा की घटनाएं बढ़ते सांप्रदायिक विभाजन की तरफ इशारा करती हैं.
इम्तियाज जलील कहते हैं कि...
लेखक और इतिहासकार मनु पिल्लै बताते हैं कि कैसे औरंगजेब दक्कन में मुगल साम्राज्यवाद का चेहरा बन गया. वह द क्विंट से बातचीत में कहते हैं कि मुगल आम तौर पर दक्कन में एक लोकप्रिय ताकत नहीं थे. वे यहां विजेता के रूप में आए थे और स्थानीय राजाओं ने लगभग एक शताब्दी तक उनका विरोध किया गया था. यह वो दौर था, जब राजनैतिक अस्थिरता के अलावा इस इलाके ने अकाल और आर्थिक तकलीफों का भी सामना किया था. इससे अतीत की यादें और कड़वी हो जाती हैं.''
मनु पिल्लै कहते हैं कि औरंगजेब को सिर्फ एक मुसलमान राजा के तौर पर देखना, उसके काम और मोटिवेशन का विश्लेषण करने का सबसे ‘आसान और गलत तरीका’ है.
मु पिल्लै आगे कहते हैं कि "ऐसे में हम कह सकते हैं कि यहां एक तथाकथित 'मुस्लिम सम्राट' ने दूसरे मुस्लिम राजाओं को हराया था, जिस तरह मराठों ने औरंगजेब का विरोध किया, उसी तरह इन मुस्लिम सल्तनतों ने भी मुगल आक्रमण का विरोध किया.''
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