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जब विपक्षी पार्टियां सो रही थीं तब बीजेपी सरकार बनाकर मिठाई बांट रही थी. ये विपक्षी पार्टियों पर कटाक्ष नहीं है, हकीकत है. महाराष्ट्र में बहुमत के आंकड़े से 40 सीट दूर रहने के बावजूद भी बीजेपी ने सरकार बना ली. लेकिन ये पहला राज्य नहीं है जहां बीजेपी ने बिन बहुमत सरकार बनाई है.
भले ही शिवसेना ने साथ छोड़ दिया लेकिन बीजेपी ने राजनीतिक अकलमंदी दिखाते हुए एनसीपी में हीं सेंध लगा दी. और एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार को ही अपने पाले में ले आई. अजित पवार को डिप्टी सीएम पद का शपथ मिला है.
साल 2017 में गोवा विधानसभा चुनाव हुए. किसी भी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला. यहां कांग्रेस ने बीजेपी से ज्यादा सीटें जीतीं. 40 सीटों वाली गोवा विधानसभा में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 17 सीटें जीतीं, लेकिन सरकार बनाया 13 सीट जीतने वाली BJP ने. कांग्रेस के बहुमत साबित करने से पहले ही बीजेपी जादुई आंकड़े को जुटाकर सरकार बनाने में सफल रही.
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी से ज्यादा सीटें हासिल की थीं. 60 सीटों में से 28 सीटें कांग्रेस को, 21 बीजेपी को, नागा पीपुल्स फ्रंट ने 4, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 4, लोक जनशक्ति पार्टी ने 1, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने 1 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी.
मेघालय में 2018 में विधानसभा चुनाव हुए. 60 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं. लेकिन सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. बीजेपी और एनपीपी नेता कॉनराड संगमा और बाकी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाया.
बिहार की कहानी भी दिलचस्प है. यहां बीजेपी तीसरे नंबर पर है, लेकिन सरकार उसके सहारे है. साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और एलजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जबकि लालू प्रसाद की आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू ने एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ा था.
बिहार, गोवा, मणिपुर, मेघालय के बाद अब महाराष्ट्र का नाम भी उस लिस्ट में जुड़ गया है जहां बीजेपी ने सबको बड़ी चालाकी से पीछे छोड़ दिया है.
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