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महाराष्ट्र (Maharashtra) के सतारा जिले के पुसेसावली गांव में रविवार, 10 सितंबर को सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) भड़क गई थी. इस हिंसा में 32 वर्षीय मुस्लिम युवक नुरुल हसन शिकलगर (Nurul Hasan Shikalgar) की मौत हो गई थी, जबकि 19 लोग घायल हुए थे. कथित तौर पर यह हिंसा आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण भड़की थी.
नुरुल हसन शिकलगर को उनके करीबी लोग एक मेहनती, प्रतिभाशाली और धार्मिक शख्स के रूप में याद कर रहे हैं. नुरुल हसन का परिवार- बूढ़े माता-पिता और छह महीने की गर्भवती पत्नी अभी भी सदमे में हैं. जवान बेटे को खोने के बाद से वो खुद को "हमेशा के लिए अपंग" महसूस कर रहे हैं.
हिंसा की वजह से बुधवार, 13 सितंबर को लगातार तीसरे दिन जिले भर में कई दुकानें और इंटरनेट सेवाएं बंद रही. स्थानीय अधिकारियों ने हालात को काबू में करने के लिए इंटरनेट बंद करवा दिया है, गांव में आने-जाने पर रोक लगा दी गई है और अन्य सभी सेवाओं को भी निलंबित कर दिया गया है.
नुरुल हसन के पिता लियाकत शिकलगर, स्थानीय उर्दू स्कूल में शिक्षक हैं. बेटे की मौत के कारण वो अब तक सदमे में हैं. कुछ भी नहीं बोल पा रहे. वहीं उनकी मां एक सरकारी अस्पताल में बतौर नर्स काम करती थीं. अब वो रिटायर हो चुकी हैं. पिछले साल 20 नवंबर को नुरुल हसन की आयशा से शादी हुई थी.
नुरुल हसन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. वो बीटेक पास था. उसने हाल ही में एक बिजनेस शुरू किया था, जिसमें वो कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े उपकरण और बुलडोजर किराये पर दिया करता था.
रविवार, 10 सितंबर को, वह रात लगभग 8:30 बजे नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद गया था, जो वह पिछले 15 सालों से हर दिन करता आ रहा था. इसके तुरंत बाद कथित तौर पर भीड़ ने मस्जिद पर हमला कर दिया.
स्थानीय नेता सिराज ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मस्जिद पर हुए हमले में नुरुल हसन समेत कम से कम 10 लोग घायल हुए थे. मौके पर पहुंची पुलिस सभी को अस्पताल लेकर गई थी. लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उसकी मौत हो गई.
सिराज ने नुरुल हसन के माता-पिता की फिक्र करते हुए कहा कि उनका बेटा वापस नहीं आ सकता. उसने नए बिजनेस के लिए और बुलडोजर खरीदने के लिए कर्ज लिया था. अब, उन सभी का भार दो बूढ़े माता-पिता और उसकी गर्भवती पत्नी के कंधों पर पड़ेगा.
बुधवार को लगातार तीसरे दिन जिले में बाजार और इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं, जिससे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां रुकी गई हैं.
सिराज ने बताया कि, "अधिकारियों ने कहा है कि अब कामकाज फिर से शुरू करना और दुकानें खोलना सुरक्षित है, लेकिन कई लोग अभी भी डर के कारण घर पर ही हैं."
हालांकि, मंगलवार को एहतियात के तौर पर जिले भर में पुलिस की तैनाती जारी रही, पुलिस ने कहा कि स्थिति की समीक्षा के बाद ही इंटरनेट सेवाएं बहाल की जाएंगी.
सतारा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने द क्विंट को बताया, "अब तक तीन मामले दर्ज किए गए हैं. एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर, एक हमले को लेकर और एक पुलिस अधिकारियों पर हुए हमलों को लेकर. पहले दिन 20 लोगों को हिरासत में लिया गया था, और हमने आधिकारिक तौर पर अब तक 19 लोगों को गिरफ्तार किया है."
गिरफ्तार किए गए लोगों पर IPC की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है:
302 (हत्या)
307 (हत्या का प्रयास)
324 (जानबूझकर खतरनाक हथियारों या साधनों से चोट पहुंचाना)
141 (गैरकानूनी जमावड़ा)
143 (गैरकानूनी जमाव के लिए सजा)
147 (दंगा करने के लिए सजा)
148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा करना)
149 (गैरकानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य सामान्य उद्देश्य के अभियोजन में किए गए अपराध का दोषी)
427 (नुकसान पहुंचाने वाली शरारत)
435 (नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत)
449 (मौत से दंडनीय अपराध करने के लिए घर में अतिक्रमण)
450 (आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध करने के लिए घर में अतिक्रमण)
शांति बहाली के लिए सतारा पुलिस ने मंगलवार, 12 सितंबर को एक कॉम्यूनिटी बेस्ड सोशल मीडिया मॉनिटरिंग तंत्र बनाया है. इस ग्रूप में 31 पुलिस स्टेशनों के विभिन्न समुदायों के स्थानीय लोग शामिल हैं. इस समूह का काम पुलिस को सोशल मीडिया क्षेत्र की निगरानी में मदद करना है ताकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक पोस्ट या टिप्पणियों से होने वाली किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके.
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