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'कैश फॉर क्वेरी' विवाद मामले में अब जांच के साथ ही आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी तेज हो गया है. व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे के बाद अब टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी दो पन्नो का बयान जारी कर पीएमओ पर उंगली उठाई है.
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से बलपूर्वक श्वेत पत्र पर हस्ताक्षर कराए, जो बाद में 'प्रेस में लीक' हो गया.
मोइत्रा ने अपनी X प्रोफाइल पर दो पन्नों का एक बयान साझा किया, जिसमें पांच सवाल पूछे गए.
तृणमूल कांग्रेस सांसद ने कहा कि तीन दिन पहले (16 अक्टूबर) हीरानंदानी समूह ने एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं.
उन्होंने कहा, "आज (19 अक्टूबर) एक 'अनुमोदनकर्ता हलफनामा' प्रेस में लीक हो गया है. यह 'शपथ पत्र' एक सफेद कागज के टुकड़े पर है, इसमें कोई लेटरहेड नहीं है और प्रेस लीक के अलावा इसकी कोई आधिकारिक उत्पत्ति नहीं है."
उन्होंने पांच सवाल उठाते हुए कहा, "हीरानंदानी को अभी तक सीबीआई या एथिक्स कमेटी या किसी भी जांच एजेंसी ने तलब नहीं किया है. फिर उन्होंने यह हलफनामा किसे दिया है? हलफनामा श्वेत पत्र पर है, न कि आधिकारिक लेटरहेड या नोटरीकृत पर." भारत का सबसे प्रतिष्ठित या शिक्षित व्यवसायी श्वेत पत्र पर इस तरह के पत्र पर हस्ताक्षर क्यों करेगा, जब तक कि ऐसा करने के लिए उसके सिर पर बंदूक नहीं रखी गई हो?"
उन्होंने कहा कि पत्र की सामग्री एक "मजाक" है.
उन्होंने कहा, "श्रॉफ अदाणी के "समधी" हैं और हितों के पूर्ण टकराव में सेबी की समिति में थे. राहुल गांधी और शशि थरूर दोनों ऐसे लोग हैं, जिन्हें सरकार लगातार निशाना बनाती है. सुचेता दलाल एक खोजी पत्रकार हैं जो हमेशा सरकार को बेनकाब करती रहती हैं. स्पष्ट रूप से किसी ने कहा था 'सभी का नाम घुसा दो, ऐसा मौका फिर नहीं आएगा."
मोइत्रा ने कहा, "दर्शन और उनके पिता भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूहों में से एक को चलाते हैं और यूपी और गुजरात में उनकी हालिया परियोजनाओं का उद्घाटन प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है." हाल ही में दर्शन अपने व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में प्रधानमंत्री के साथ विदेश गए थे.
तृणमूल नेता ने यह भी पूछा कि दर्शन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की और इसे क्यों नहीं पढ़ा या इसे खुद ट्वीट नहीं किया या उनकी कंपनी ने इसे सामने क्यों नहीं रखा.
उन्होंने कहा, "अगर वास्तव में उन्होंने यह 'कबूल' कर लिया है तो वह बैक चैनल लीक के बजाय इसे आधिकारिक तौर पर जारी क्यों नहीं कर रहे हैं? सच्चाई स्पष्ट है."
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार बेसब्री से इंतजार कर रही है कि किसी तरह अदाणी मुद्दे पर उनका मुंह बंद कर दिया जाए.
उन्होंने कहा,"वह मेरे साथ कटुता रखने वाला व्यक्ति है, जो किसी भी तरह मुझ पर पलटवार करना चाहता था. यदि वास्तव में वह मेरे सभी भ्रष्टाचारों का गवाह था, तो वह उस समय मेरे साथ क्यों था. इसके अलावा अगर उन्होंने सीबीआई और लोकसभा अध्यक्ष को लिखा, तो 543 सांसदों में से उन्होंने निशिकांत दुबे को पत्र क्यों भेजा, एक ऐसा व्यक्ति जिसे मैंने बार-बार संसद और बाहर उजागर किया है, और जिसके खिलाफ मैंने लंबित विशेषाधिकार प्रस्ताव दायर किया है?
TMC MP ने कहा, क्यों देहाद्राई के असत्यापित पत्र की सामग्री को निशिकांत ने तुरंत लीक कर दिया और किसी भी जांच से पहले सामग्री का इस्तेमाल मीडिया सर्कस बनाने के लिए किया गया ?"
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि एक बार जमीन तैयार हो जाने के बाद BJP दूसरे कदम पर चली गई और PMO ने दर्शन और उनके पिता पर दबाव डाला व इस पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए 20 मिनट का समय दिया.
उन्होंने यह भी कहा कि इस पत्र का मसौदा पीएमओ द्वारा भेजा गया था और उन्हें इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था और इसे तुरंत प्रेस में लीक कर दिया गया था.
उन्होंने आरोप लगाया कि यह BJP सरकार की सामान्य कार्यप्रणाली है.
महुआ ने कहा,"मुझे बदनाम करने और मेरे करीबी लोगों को अलग-थलग करने और डराने की हर कोशिश की जा रही है. मेरे करीबी लोगों को अगले कुछ दिनों में ED और CBI छापे की धमकी दी गई है."
उन्होंने कहा, "मीडिया सर्कस के हिस्से के रूप में दिखाए जा रहे प्ली बार्गेन के इस चयनात्मक लीक से यह पता चलता है कि भाजपा और मोदी आदाणी के भ्रष्टाचार के खुलकर सामने आने से कितने डरे हुए और हताश हैं. यह प्रतिष्ठान द्वारा हर उस राजनीतिक नेता की खोज का हिस्सा है जो अडानी पर सवाल उठाने की हिम्मत करता है. यह BJP और अडानी के खिलाफ खड़े होने की कीमत है. लेकिन वे मुझे डरा नहीं सकते."
उनकी टिप्पणी दुबई स्थित व्यवसायी हीरानंदानी के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि तृणमूल कांग्रेस सांसद मोइत्रा ने जरूरत पड़ने पर उनकी ओर से सीधे सवाल पोस्ट करने के लिए उन्हें अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड प्रदान किया था.
हीरानंदानी ने एक हलफनामे में कहा, "मेरे साथ कुछ जानकारी साझा की गई, जिसके आधार पर जब भी जरूरत पड़ी, मैंने उनके संसदीय लॉगिन का उपयोग करके सवालों का मसौदा तैयार करना और पोस्ट करना जारी रखा."
उन्होंने कहा, "महत्वपूर्ण बात यह है कि वह भी मुझसे बार-बार मांगें करती थीं और मुझसे तरह-तरह की मदद मांगती रहती थीं, जिन्हें मुझे उसके करीब रहने और उनका समर्थन पाने के लिए पूरा करना पड़ता था. जो मांगें की गईं और जो मदद मांगी गई, उनमें उपहार देना भी शामिल था. उनकी महंगी विलासिता की वस्तुएं, दिल्ली में उनके आधिकारिक तौर पर आवंटित बंगले के नवीनीकरण, यात्रा व्यय, छुट्टियों आदि में मदद करने के अलावा, भारत के भीतर और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उनकी यात्रा के लिए सचिवीय और रसद सहायता दी गई.
हीरानंदानी ने कहा, "चूंकि यह मामला सीधे तौर पर मुझसे जुड़ा है और संसदीय विशेषाधिकार समिति के साथ एक राजनीतिक विवाद में बदल गया है और न्यायपालिका ने भी अब इस मामले को अपने हाथ में ले लिया है, मैं सार्वजनिक हित में इस शपथपत्र के माध्यम से तथ्यों को बताना मेरे लिए अनिवार्य समझता हूं."
उन्होंने आगे कहा, "उनके साथ बातचीत के दौरान मैंने पाया कि वह एक प्रतिभाशाली बुद्धिजीवी और ऐसे जन प्रतिनिधियों में से एक हैं, जो अर्थव्यवस्था और व्यावसायिक मामलों को अच्छी तरह से समझती हैं. मेरा मानना है कि उन्होंने मुझे बुद्धिमान पाया. शायद हमारे लिए घनिष्ठ मित्रता का यह एक और कारण था.”
दरअसल, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने TMC MP महुआ मोइत्रा पर एक बिजनेसमैन से पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की मोइत्रा के खिलाफ शिकायत को लोकसभा की आचार समिति (एथिक्स कमेटी) को भेज दिया है, जिस पर 26 अक्टूबर को सुनवाई करेगी.
(इनपुट-IANS)
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