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कोर्ट ने दी रेप की सख्त परिभाषा,महिला के अंत:वस्त्र के ऊपर गलत हरकत पड़ेगी भारी

निचली अदालत ने आरोपी को 10 साल की सजा सुनाई साथ ही 25 हजार का जुर्माना भी लगाया था.

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<div class="paragraphs"><p>मेघालय हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला</p></div>
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मेघालय हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

फोटो- IANS

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मेघालय हाईकोर्ट (Meghalaya Highcourt) की डिविजन बेंच ने अपने एक आदेश में अब रेप (Rape) की परिभाषा को और भी सख्त कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर कोई पुरूष अपने प्राइवेट पार्ट को महिला के अंडरपैंट के ऊपर भी रगड़ता है तो उसे आईपीसी की धारा 375 (बी) के तहत पेनिट्रेशन ही माना जाएगा और यह रेप की श्रेणी में ही आएगा. कोर्ट के इस आदेश के बाद उन अपराधियों पर सख्त शिकंजा कसेगा जो कानूनी लूप होल का लाभ उठाकर गंभीर छेड़छाड़ के बाद भी धारा 375 (बी) के पेनिट्रेशन के प्रावधानों के दायरे में न आकर रेप के आरोप से बच निकलते थे.

हाईकोर्ट की डिविजन बेंच में शामिल मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति डब्ल्यू डिएंगदोह ने विगत दिनों इस आदेश केा सुनाते हुए 2018 में एक निचली अदालत द्वारा बलात्कार के आरोपी की सजा के फैसले की पुष्टि की है.

निचली अदालत ने आरोपी को 10 साल की सजा सुनाई साथ ही 25 हजार का जुर्माना भी लगाया था.

आरोपी की ओर से दलील दी गई कि उस पर बलात्कार का आरोप नहीं लगाया जा सकता क्योंकि मुकदमे के दौरान पीड़िता ने कहा कि आरोपी व्यक्ति ने पेनिट्रेशन नहीं किया है बल्कि उसने उसके अंडरपैंट के ऊपर अपने प्राइवेट पार्ट को रब किया.

लेकिन पीड़िता के पूरे केस की जांच कर अब कोर्ट ने इस कृत्य को पेनिट्रेशन के दायरे में माना और आगे भी कई मामलों के लिए नजीर तय कर दी है.

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