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Chamba: कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट खुले, बर्फ से नहाया मणिमहेश कैलाश| Photos

Manimahesh Yatra Photos: 135 दिन बाद भगवान कार्तिक और शिरगुल महाराज मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>Manimahesh Kailash Peak,&nbsp;Shirgul Maharaj Temple</p></div>
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Manimahesh Kailash Peak, Shirgul Maharaj Temple

(फोटोः अलटर्ड बाइ क्विंट)

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हिमाचल प्रदेश के (Himachal Pradesh) चंबा जिला (Chamba) के भरमौर क्षेत्र में स्थित भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर और शिरगुल महाराज मंदिर (Shirgul Maharaj Temple) के कपाट करीब साढ़े चार माह बाद शुक्रवार को खोल दिए गए हैं. वहीं कपाट खुलते ही भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है. हालांकि शिवधाम नगरी में चोरों ओर बर्फ ही बर्फ का नजारा देखने को मिल रहा है. आइये देखते हैं बर्फ से ढके मणिमहेश कैलाश पर्वत (Manimahesh Kailash Peak) की खूबसूरत तस्वीर.

मणिमहेश कैलाश पर्वत के चारों ओर बर्फ ही बर्फ जमी हुई है. साथ ही पवित्र मणिमहेश झील भी पूरी तरह से जम चुकी है.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

मणिमहेश कैलाश पर्वत हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले से लगभग 65 किमी की दूरी पर स्थित है.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

भगवान कार्तिक और शिरगुल महाराज के दरबार पहुंचे श्रद्धालुओं ने ये तस्वीरें भेजी है.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

135 दिन बाद शुक्रवार को भगवान कार्तिक और शिरगुल महाराज मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं. वही ंकपाट खुलने के बाद भरमौर में साढ़े चार महीने बाद दर्शनों के लिए  भक्तों का सैलाब उमड़ा है.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार,  30 नबंवर 2022 को कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद कर दिए गए थे.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

यह पवित्र पर्वत हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा में उपमंडल भरमौर के तहत आता है, जो मणिमहेश कैलाश पर्वत के नाम से विश्व विख्यात है. कहा जाता है कि आज तक इस पर्वत पर श्रद्धालु नहीं चढ़ पाए हैं और मणिमहेश कैलाश पर्वत के रास्ते में ही जाते जाते सब घुटने टेक लेते हैं.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

हर वर्ष आयोजित होने वाली इस तीर्थ यात्रा में देशभर से हजारों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए शामिल होते हैं.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

मणिमहेश कैलाश पर्वत सनातन धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और इसकी यात्रा हजारों सालों से चली आ रही है. पौराणिक ग्रंथों और साहित्य में इस पर्वत को वैदूर्यमणि या नीलमणि पर्वत के नाम से जाना जाता है. जबकि अंग्रेजी साहित्य में इसे टरकोइज माउंटेन लिखा गया है.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

भक्तों में मान्यता है कि रात्रि के चौथे पहर यानी ब्रह्म मुहूर्त में मणिमहेश पर्वत पर मणि चमकती है. इसकी चमक इतनी तेज होती है उसकी रोशनी दूर-दूर तक दिखाई पड़ती है.

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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