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मणिपुर हाई कोर्ट ने मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम (Kishorchandra Wangkhem) को रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि उनको जेल में रखने से संविधान के अनुच्छेद 21 का उतना ही उल्लंघन होगा जितना कि एरेन्ड्रो लीचोम्बन (Erendro Leichombam) के मामले में होता.
इस मामले में उन्हें चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, इम्फाल ने बेल दे दी थी, लेकिन फिर उनके खिलाफ पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मामला दर्ज कर फिर गिरफ्तार कर लिया.
किशोरचंद्र की पत्नी द्वारा दायर लेटर-पिटिशन में मुख्य न्यायाधीश पी.वी संजय कुमार और जस्टिस नोबिन सिंह ने आदेश दिया कि एक्टिविस्ट-पत्रकार किशोरचंद्र को 23 जुलाई शाम 5:00 बजे तक रिहा कर दिया जाए.
बता दें कि 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने एनएसए के तहत गिरफ्तार किए गए मणिपुर से पॉलिटिकल एक्टिविस्ट एरेन्ड्रो को रिहा करने का आदेश दिया था. उन पर भी वही आरोप थे, जो पत्रकार पर लगाए गए थे. एरेंड्रो ने भी गाय के गोबर से कोरोना के इलाज को लेकर पोस्ट किया था.
इस संबंध में मणिपुर हाईकोर्ट ने कहा कि किशोरचंद्र और एरेन्ड्रो के मामले में कोई अंतर नहीं है. दोनों ने एक ही फेसबुक पोस्ट को शेयर किया था, जिसमें कोरोना वायरस के इलाज के लिए गोबर और गोमूत्र पर आलोचनात्मक टिप्पणी थी. साथ ही मणिपुर हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि,
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