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Manipur| 'पुलिस स्टेशन जाने में भी डर रहा': जिंदा जलाए गए 7 साल के बच्चे के पिता

Manipur violence: 7 साल के एक बच्चे, उसकी मेइती मां और एक अन्य मेइती रिश्तेदार को भीड़ ने जला कर मार डाला

मधुश्री गोस्वामी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Manipur जिंदा जलाया गया बच्चा, मां और एक रिश्तेदार&nbsp;</p></div>
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Manipur जिंदा जलाया गया बच्चा, मां और एक रिश्तेदार 

(फोटो- एक्सेस बाई क्विंट हिंदी)

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Manipur violence: असम राइफल्स के राहत शिविर में एक सात वर्षीय आदिवासी बच्चा गोली लगने से घायल हो गया था. रविवार, 4 जून की शाम को जब उसे एंबुलेंस से इलाज के लिए ले जाया जा रहा था तब एम्बुलेंस को भीड़ ने रोका और उसमें आग लगा दी. उस एम्बुलेंस में उस बच्चे के साथ-साथ उसकी मेइती मां और एक अन्य रिश्तेदार मौजूद थे.

मृतकों की पहचान टॉन्सिंग हैंगिंग (7 वर्ष), उनकी मां मीना हैंगिंग (45 वर्ष), जो एक मेइती ईसाई थीं और जिनकी शादी कुकी से हुई थी, और उनकी रिश्तेदार लिडिया लौरेम्बम (37 वर्ष) के रूप में की गई है. लिडिया भी एक मेइती ईसाई थीं.

बच्चे के पिता जोशुआ हैंगिंग ने कहा कि वह अभी भी पुलिस से संपर्क करने का इंतजार कर रहे हैं और उन्हें अभी तक उनकी बॉडी नहीं मिली है.

उन्होंने कहा, "मुझे अभी तक शव नहीं मिले हैं और मैं पुलिस स्टेशन जाने से भी डर रहा हूं."

यह घटना इंफाल वेस्ट के इरोइसेम्बा इलाके में हुई, जो लाम्फेल पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है. स्टेशन के एक पुलिस अधिकारी ने द क्विंट को कंफर्म किया कि गाड़ी में रविवार शाम करीब 7 बजे आग लगाई गई थी.

उन्होंने कहा, "बचाने के लिए बहुत कुछ नहीं बचा था और हम सभी एंबुलेंस के अंदर से सिर्फ कुछ हड्डियां बरामद करने में कामयाब रहे. हमने 4 जून को स्टेशन में FIR दर्ज कराई, जिसमें हत्या से संबंधित धाराएं भी शामिल हैं."

'मेइती होने के बावजूद नहीं बख्शा'

3 मई को एक आदिवासी एकजुटता रैली के बाद मणिपुर में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़का और अगले दिन, 4 मई को टॉन्सिंग और उनका परिवार कांगपोकपी जिले में स्थित अपने गांव कांगचुप से भाग गया. परिवार ने कथित तौर पर गांव के ठीक बाहर असम राइफल्स कैंप में शरण ली.

उनके गांव में मुख्य रूप से कुकी बसे हैं और यह इम्फाल घाटी से लगभग 15 किमी दूर है.

टॉन्सिंग के परिवार के रिश्तेदार और उसी गांव के रहने वाले जिन हैंगिंग ने द क्विंट को बताया कि 4 जून को टॉन्सिंग के घायल होने के बाद टॉन्सिंग, उनकी मां और लिडिया इंफाल के रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) जा रहे थे. इलाके में हुई फायरिंग में टॉन्सिंग को सिर में गोली लग गई थी.

उन्होंने कहा, "टॉन्सिंग को दूर से सिर में गोली मारी गई थी और हम वास्तव में नहीं जानते कि यह गलती से उसे लग गयी या उसे टारगेट करके ही गोली चलाई गयी थी?"

एक अन्य रिश्तेदार पालोनेल हैंगिंग ने कहा कि भले ही मीना और लिडिया ईसाई थे, लेकिन वे मेइती समुदाय से थे और उन्हें लगा कि मेइती बहुल इंफाल घाटी से यात्रा करते समय उन पर हमला नहीं किया जाएगा.

उन्होंने कहा, "मेइती होने के बावजूद उन्हें बख्शा नहीं गया."

पालोनेल ने कहा कि वे एंबुलेंस सहित तीन वाहनों में मणिपुर पुलिस कर्मियों के साथ गए थे.

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असम राइफल्स ने क्या कहा?

असम राइफल्स के एक प्रवक्ता ने इस बात से इनकार किया कि वे परिवार को अस्पताल ले जाने के प्रयास का हिस्सा थे. प्रवक्ता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वास्तव में टॉन्सिंग, उनकी मां और लिडा को मणिपुर पुलिस कर्मियों द्वारा एस्कॉर्ट किया गया था.

एंबुलेंस में तीनों लोगों के साथ गए एक पुरुष नर्स ने अखबार से इसकी पुष्टि की और कहा, "हमें जिला पुलिस ने सुरक्षा दी थी."

नर्स ने आगे कहा कि जब वे इरोइसेम्बा पहुंचे, तो भीड़ ने उन्हें पूरी तरह से घेर लिया था.

उन्होंने कहा, "ड्राइवर और मुझे वाहन से बाहर निकाला गया और पास के एक क्लब में ले जाया गया. पुलिस की संख्या कम थी ... हमें लगभग दो घंटे तक एक क्लब में रखा गया."

इंफाल वेस्ट के एसपी इबोमचा सिंह ने द क्विंट के कॉल, मैसेज और टिप्पणी मांगने वाले ईमेल का जवाब नहीं दिया.

इस बीच, केंद्र ने मंगलवार, 6 जून को मणिपुर में लगभग 1,000 सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों को एयरलिफ्ट किया है, क्योंकि राज्य में हिंसा जारी है.

3 मई को कुकी और मेइती के बीच झड़प के बाद से 20,000 से अधिक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों और सेना के जवानों को मणिपुर में तैनात किया गया है.

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