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Manipur Violent Protests: मणिपुर के जारी हिंसा के बीच इससे प्रभावित इलाकों में सेना ने गुरुवार, 4 मई को फ्लैग मार्च किया. यह जानकारी रक्षा विभाग के प्रवक्ता ने दिया है. उन्होंने कहा कि अब तक 4,000 लोगों को सुरक्षा बलों ने हिंसा प्रभावित इलाकों से बचाया है और आश्रय दिया है. प्रवक्ता ने कहा कि रात में सेना और असम राइफल्स की मांग की गई थी और राज्य पुलिस के साथ सैन्य बलों ने सुबह तक हिंसा को काबू में कर लिया.
इंफाल, चुराचांदपुर और कांगपोकपी में आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों के बीच हिंसा भड़कने के बाद बीती रात मणिपुर के आठ जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया. मणिपुर सरकार ने राज्य में अगले पांच दिनों के लिए मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगा दी है.
बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए सेना और असम राइफल्स को बुलाया गया है, स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सेना और असम राइफल्स द्वारा आज फ्लैग मार्च किया गया. हिंसा के बाद राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 4,000 लोगों को सेना के शिविरों और सरकारी कार्यालय परिसरों में आश्रय दिया गया था.
बुधवार को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) ने चुराचंदपुर जिले के तोरबंग इलाके में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' बुलाया, ताकि अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की मांग का विरोध किया जा सके. पुलिस के मुताबिक, रैली में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया, जिस दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा भड़क उठी.
बता दें कि मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का 53% हिस्सा है और मुख्य रूप से मणिपुर घाटी में निवास करता है. मेइती का दावा है कि "म्यांमार और बांग्लादेशियों द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध आप्रवासन" को देखते हुए उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
मौजूदा कानून के अनुसार, मैती लोगों को राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में बसने की अनुमति नहीं है.
मणिपुर में हिंसक विरोध क्यों हो रहा? यह डिटेल में जानने के लिए नीचे दिए एक्सप्लेनर को पढ़ें.
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