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मणिपुर (Manipur) में जारी हिंसा के बीच प्रदेश में अनुच्छेद 355 लागू कर दिया गया है. इससे पहले राज्यपाल ने हिंसाग्रस्त इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मार देने के राज्य सरकार के फैसले को मंजूरी दी थी. राज्य के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में धारा 144 लागू है और अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है.
सरकार के एक बयान में कहा गया, "3 मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद हुई घटनाओं को देखते हुए और राज्य में सार्वजनिक व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिए, मणिपुर के राज्यपाल (अनुसुइया उइके) ने सभी जिलाधिकारियों, उप-विभागीय मजिस्ट्रेटों और सभी कार्यकारी मजिस्ट्रेटों, विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेटों को शूट एट साइट आदेश जारी करने के लिए अधिकृत किया. राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये आदेश जारी किया गया है."
डिफेंस पीआरओ ने बताया, "अब तक कानून और व्यवस्था की बहाली के लिए सेना और असम राइफल्स की कुल 55 टुकड़ियों को तैनात किया गया है. अतिरिक्त 14 टुकड़ियों को शॉर्ट नोटिस पर तैनाती के लिए तैयार रखा गया है.
उन्होंने कहा कि विभिन्न समुदायों के लगभग 10,000 ग्रामीणों को विभिन्न जिलों में सेना और असम राइफल्स के शिविरों में भेजा गया है.
बीरेन सिंह ने लोगों से अपील करते हुए उनसे शांति बनाए रखने और राज्य सरकार के साथ सहयोग करने का आग्रह किया. सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा, "बुधवार की घटनाएं समुदायों के बीच गलतफहमी के कारण हुईं. सरकार सभी समुदायों और नेताओं से बात करने के बाद मांगों और शिकायतों का समाधान करेगी."
उन्होंने कहा कि उनके मिजोरम समकक्ष जोरमथांगा ने भी उनसे बात की और मणिपुर में आदिवासियों के संरक्षण पर चर्चा की.
कई मौतों की अफवाह फैलाई जा रही है जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए समस्या पैदा कर रही है. अधिकारियों ने किसी के मारे जाने की पुष्टि नहीं की है.
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा और छह बार के विश्व चैंपियन मुक्केबाज एम.सी. मैरी कॉम ने भी एक वीडियो संदेश में लोगों से जातीय सद्भाव और शांति बनाए रखने का आग्रह किया.
मणिपुर में स्थिति उस समय खराब हो गई जब हजारों आदिवासियों ने मणिपुर के ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSUM) द्वारा बुलाए गए मार्च में सभी 10 पहाड़ी जिलों में मेइती समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध किया.
मीतेई (मीतेई) ट्रेड यूनियन द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए मणिपुर हाई कोर्ट ने 19 अप्रैल को राज्य सरकार को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के लिए याचिकाकर्ताओं के मामले पर शीघ्रता से विचार करने का निर्देश दिया था.
(इनपुट-आईएएनएस)
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