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Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही. नए साल के मौके पर चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई और कई घायल हो गये. इस बीच, मंगलवार को भी पांच लोग घायल हो गये, जिनकी पहचान कर ली गई है. इससे पहले राज्य के पांच घाटी जिलों में फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया.
मंगलवार को हुई हिंसा में पांच लोग घायल हुए हैं और उनकी पहचान कर ली गई है.
NDTV के अनुसार, थौबल जिले के स्थानीय लोगों ने सोमवार को हुई घटना को लेकर दावा किया कि लोगों का एक समूह, जिनकी पहचान अभी तक नहीं की गई है, जबरन वसूली के लिए स्वचालित हथियारों के साथ आए थे.
वहीं, सोमवार सुबह 8:30 बजे मणिपुर के सीमावर्ती मोरेह में चवांगफाई के पास हुए हमले में 4 पुलिस कमांडो और 1 बीएसएफ जवान घायल हो गए. संदिग्ध हमलावरों में केएनए, यूकेएलएफ और पीडीएफ सहित कुकी आतंकवादी शामिल हैं. घायल जवानों को रिम्स अस्पताल ले जाया गया है और बताया जा रहा है कि गोलीबारी अभी भी जारी है.
मोरेह में पुलिस कर्मियों पर हमले पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा, "हमने आतंकवादी समूहों द्वारा लीक किए गए कुछ वीडियो भी देखे हैं. हम केंद्रीय और राज्य बलों के साथ काम कर रहे हैं. तलाशी अभियान जारी है. अतिरिक्त बल भेजा गया है. हमें म्यांमार की ओर से विदेशी मशीनरी के शामिल होने का संदेह है. हम इस तरह की धमकी और दबाव के आगे नहीं झुकेंगे. "
जानकारी के अनुसार, यह घटना सोमवार (1 जनवरी) शाम की है, जब 4 जिप्सियों में अज्ञात हथियारबंद बदमाश बंदूकों के साथ थौबल जिला के मुस्लिम आबादी वाले इलाके लिलोंग नुन्गेई में आए और गोलीबारी कर चार लोगों की हत्या कर दी. हमले के बाद गुस्साए स्थानीय लोगों ने बंदूकधारियों की गाड़ियों में आग लगा दी. लेकिनहमलावर भाग निकले. हमले के पीछे का मकसद अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है.
वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक वीडियो संदेश में हिंसा की निंदा की और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.
मुख्यमंत्री ने घटना को लेकर सभी मंत्रियों और सत्तारूढ़ दल के विधायकों की एक आपात बैठक भी की.
दो दिन पहले, मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह में संदिग्ध विद्रोहियों और पुलिस कमांडो के बीच गोलीबारी में चार सुरक्षा बल घायल हो गए थे. अधिकारियों ने कहा कि विद्रोहियों ने कई आरपीजी फायर किए जो मोरेह तुरेलवांगमा लीकाई में सीडीओ चौकी भवन के अंदर फट गए, जहां कमांडो रह रहे थे.
मणिपुर 2023 में काफी सुर्खियों में रहा, क्योंकि यहां 3 मई को सबसे खराब जातीय संघर्ष हुआ, जिसके परिणामस्वरूप 180 से अधिक मौतें हुईं और लगभग 60,000 लोग बेघर हो गए.
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