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'शांति वार्ता का बहिष्कार': कुकी समुदाय को मणिपुर समिति में CM बीरेन मंजूर नहीं

Manipur Violence: गृह मंत्रालय ने शनिवार, 10 जून को समिति के गठन की घोषणा की थी.

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<div class="paragraphs"><p>कुकी ने मणिपुर समिति में CM को शामिल करने पर आपत्ति जताई, शांति वार्ता से इंकार</p></div>
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कुकी ने मणिपुर समिति में CM को शामिल करने पर आपत्ति जताई, शांति वार्ता से इंकार

(फोटो: ट्विटर)

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गृह मंत्रालय द्वारा मणिपुर (Manipur) में एक पीस कमिटी गठित करने के एक दिन बाद कुकी समुदायों के कई प्रतिनिधियों ने घोषणा की कि वे पैनल का बहिष्कार करेंगे.

रविवार, 11 जून को, समुदाय के कुछ प्रतिनिधियों ने कहा कि समिति के सदस्यों को उनकी सहमति के बिना नियुक्त किया गया था.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को समिति का हिस्सा होना चाहिए क्योंकि वे शांति वार्ता के लिए मणिपुर सरकार के साथ नहीं बैठ सकते.

समिति के बारे में: मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता वाली समिति में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, सिविल सेवक, शिक्षाविद्, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न जातीय समूह के प्रतिनिधि शामिल हैं.

गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, "समिति का उद्देश्य राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांतिपूर्ण बातचीत और परस्पर विरोधी दलों/समूहों के बीच बातचीत सहित शांति बनाने की प्रक्रिया को शुरू करना होगा."

विवाद की वजह: समिति की नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए, कुकी इंपी मणिपुर (KIM) के अध्यक्ष अजांग खोंगसाई ने द हिंदू को बताया, "पैनल में COCOMI (मणिपुर अखंडता पर समन्वय समिति, इंफाल में एक नागरिक समाज समूह) शामिल है, जिसने कुकी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की है. हम शांति चाहते हैं लेकिन इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, जब हिंसा जारी है, हम मणिपुर सरकार के साथ बातचीत नहीं कर सकते."

सेवानिवृत्त भारतीय रक्षा लेखा सेवा अधिकारी जे लहुंगडिम को समिति के एक मेंबर के रूप में नामित किया गया है. उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "मेरी सहमति के बिना उन्होंने शांति समिति में मेरा नाम क्यों और कैसे जोड़ा. मैंने कई कुकी प्रतिनिधियों से बात की है और उन्होंने मुझे बताया कि उनके नाम भी उनसे बात किए बिना समिति में जोड़ दिए गए और वे भी इस कदम से खुश नहीं हैं."

उन्होंने आगे कहा कि सीएम एन बीरेन सिंह पर सब कुछ छोड़ने के बजाय केंद्र सरकार को इस समिति का हिस्सा होना चाहिए.

इस बीच, स्वदेशी जनजातीय नेताओं के मंच (ITLF) ने समिति में सीएम को शामिल करने की निंदा की.

"उनकी (एन बीरेन सिंह) कुकी-जो समुदाय के खिलाफ लगातार बयानबाजी और हेट स्पीच देना, एक सिरे से कुकी-जो समुदाय के लोगों को ड्रग पेडलर्स, आतंकवादी और अवैध अप्रवासियों के रूप में बताना मैतेई लीपुन के प्रमुख प्रमोत सिंह द्वारा नरसंहार की खुली घोषणा को प्रेरित करता है. ITLF के बयान में कहा गया है कि नेशनल मीडिया पर और फ्रिंज मेइती समूहों द्वारा "चिन-कूकी नार्को-आतंकवाद" के प्रॉक्सी वॉर की घोषणा की गई है.

क्या है मामला: मणिपुर में मई की शुरुआत से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच अशांति और जातीय हिंसा देखी जा रही है, जिसमें लगभग 100 लोगों की जान गई है और कम से कम 35,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

(इनपुट्स - इंडियन एक्सप्रेस एंड द हिंदू)

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