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पिछले कई महीनों से मणिपुर (Manipur) में जातीय हिंसा की खबरें आ रही हैं. इस दौरान हिंसक झड़पों के बीच पूजा स्थलों को भी क्षतिग्रस्त किए जाने की बातें सामने आईं. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित पूर्व जजों की तीन सदस्यीय बेंच ने राज्य सरकार से सूबे में धार्मिक इमारतों की तुरंत पहचान करने और उनकी हिफाजत सुनिश्चित करने को कहा है.
Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने 8 सितंबर को राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान सिफारिश की कि मणिपुर सरकार को फौरी तौर पर राज्य में सभी धार्मिक इमारतों (चर्च, हिंदू मंदिर, सनामाही मंदिर, मस्जिद और किसी अन्य धर्म की इमारतें) की पहचान करनी चाहिए. चाहे वे मौजूदा वक्त में मौजूद हों या मई में शुरू हुई हिंसा में नष्ट की गई हों.
पिछले दिनों मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा था कि राज्य में जारी हिंसा के दौरान आगजनी के जरिए 386 धार्मिक संरचनाओं को नष्ट कर दिया गया है. इनमें से 254 चर्च और 132 मंदिर थे. ये धार्मिक संरचनाएं आगजनी के 5,132 दर्ज मामलों में से थीं.
रिपोर्ट के मुताबिक यह पता चला है कि समिति ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक रिट याचिका के कंटेंट पर गौर किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 3 मई 2023 को शुरू हुई हिंसा में 240-247 चर्चों में तोड़फोड़, लूटपाट और आग लगा दी गई और फर्नीचर, कीमती सामान सहित चर्च की संपत्ति को जला दिया गया. पैरिश चर्च रजिस्टर और स्वामित्व के दस्तावेज या तो लूट लिए गए या जानबूझकर जला दिए गए. रिट याचिका मणिपुर की मैतेई क्रिश्चियन चर्च काउंसिल द्वारा दायर की गई थी.
जून में इंफाल के आर्कबिशप (Archbishop), डोमिनिक लुमोन (Dominic Lumon) ने एक पत्र लिखकर दावा किया था कि हिंसा शुरू होने के 36 घंटों के अंदर मैतेई ईसाइयों के 249 चर्च नष्ट कर दिए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट की समिति ने राज्य सरकार को "मणिपुर में सभी संपत्तियों और हिंसा में नष्ट हुई संपत्तियों का सर्वे करने का निर्देश दिया था.
समिति ने सुप्रीम कोर्ट से सिफारिश की कि कोर्ट को इस तरह का आदेश पारित करना चाहिए कि "ऐसा न करने पर संबंधित व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन न करने के लिए अदालत की अवमानना का भागीदार होगा."
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