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मणिपुर वायरल वीडियो: फेक न्यूज की चिंगारी ने कैसे आग को भड़काया

मणिपुर के नाम पर गलत दावे से शेयर किए जा रहे वीडियो की पड़ताल लगातार की जा रही है, उसके बावजूद दुष्प्रचार हो रहा है.

ऐश्वर्या वर्मा
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>मणिपुर में तीन महिलाओं को निर्वस्त्र रास्ते में घुमाया गया और गैंगरेप किया गया.</p></div>
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मणिपुर में तीन महिलाओं को निर्वस्त्र रास्ते में घुमाया गया और गैंगरेप किया गया.

फोटो : Quint Hindi

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(चेतावनी: स्टोरी में रेप और यौन उत्पीड़न का जिक्र है. कृपया पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें.)

मणिपुर (Manipur) के कांगपोकपी जिले में 4 मई को कुकी समुदाय की तीन महिलाओं को निर्वस्त्र कर उन्हें यातनाएं दी गईं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, महिलाओं का यौन शोषण करने वाली भीड़ मैतेई समुदाय की थी. इस घटना में जिंदा बचे लोगों में से एक ने बताया कि ये घटना ''चुराचांदपुर मामले का बदला'' थी. The Print से बातचीत में एक पीड़िता ने कहा, ''ये सब फेक न्यूज की वजह से हुआ''.

वो संभवत: उस झूठी खबर के बारे में बात कर रही थीं, जिसमें कहा गया कि 3 मई को चुराचांदपुर के जिला अस्पताल में कुकी-जो समुदाय के लोगों ने एक मैतेई नर्स का रेप और हत्या कर दी.

इस दावे को क्विंट की वेबकूफ टीम समेत कई दूसरी फैक्ट चेकिंग वेबसाइटों ने गलत बताया था. नर्स के पिता ने वैली के न्यूज चैनल Impact TV को बताया था कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था.

उस फर्जी खबर के बाद ऐसी घटना का होना, इस बात का सबूत है कि दुष्प्रचार या फेक न्यूज कितने खतरनाक हो सकते हैं. मैतेई समुदाय से जुड़े समूहों ने बी फीनोम नाम के एक गांव में कथित तौर पर 3 मई और 4 मई को हमला किया. कथित तौर पर ये हमला कुकी समुदाय के लोगों के घरों को बर्बाद करने के लिए किया गया था.

हिंसा के दूसरे दिन, भीड़ ने तीन महिलाओं को निर्वस्त्र कर उन्हें घुमाया. और जब वो मदद के लिए चिल्लाईं तो उनके साथ छेड़छाड़ की.

मणिपुर हिंसा और फेक न्यूज

हालांकि, ऐसे वीडियो जिन्हें मणिपुर का बताकर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है, फैक्ट चेकिंग के जरिए उनका सच भी सामने आ रहा है. लेकिन, इसके बावजूद मणिपुर हिंसा से जुड़े फेक दावे पड़े पैमाने पर शेयर किए गए. क्विंट की वेबकूफ टीम ने 5 मई को मणिपुर हिंसा से जुड़ी 'फेक न्यूज' की पहली घटना की पड़ताल की थी. तब हवा में फायर करते लोगों का एक पुराना वीडियो मणिपुर हिंसा से जोड़कर शेयर किया गया था.

मैतेई नर्स के रेप और हत्या से जुड़ा दावा 3 मई को राज्य में हिंसा शुरू होने के तुरंत बाद वायरल हुआ. इस दावे में विचलित करने वाली तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें एक महिला का शव सड़क पर पड़ा दिख रहा था.

हालांकि, ये दावा पूरी तरह से झूठा था. ये तस्वीर नवंबर 2022 की थी और उत्तर प्रदेश के मेरठ की थी. तस्वीर में जो महिला दिख रही है उसे उसकी जाति के बाहर शादी करने की वजह से माता-पिता ने गोली मार दी थी.

मणिपुर में महिलाओं के साथ हिंसा के दावे से एक और विचलित करने वाला वीडियो शेयर किया गया, जिसमें एक महिला को गोली मारने से पहले उसे प्रताड़ित करते देखा जा सकता है. इसे शेयर कर सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया कि मैतेई समुदाय के लोगों ने कुकी-जो समुदाय की एक लड़की को प्रताड़ित कर हत्या कर दी.

ये खबर भी फर्जी थी, क्योंकि रिपोर्ट के मुताबिक ये वीडियो दिसंबर 2022 का था और म्यांमार के सागैंग की एक घटना को दिखाता है. सागैंग में एक 24 वर्षीय शिक्षिका ऐ मार तुन को जुंटा को जानकारी देने के शक में गोली मार दी गई थी.

म्यांमार की तस्वीरें और वीडियो शेयर कर सोशल मीडिया पर कुकी-जो समुदाय के खिलाफ ऐसे कई झूठे दावे किए गए.

  • एक वीडियो शेयर कर ये झूठा दावा किया गया कि वीडियो में मणिपुर पुलिस कुकी समुदाय को ट्रैक कर उन्हें निशाना बनाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करते देखी जा सकती है. जबकि, असल में ये वीडियो म्यांमार के चिनलैंड डिफेंस फोर्स (CDF) कमांडो का था.

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अन्य दावे में तीन वीडियो का एक सेट शेयर कर कहा गया कि इनमें 'हथियारों से लैस कुकी आतंकवादियों' को मणिपुर में 'मैतेई हिंदुओं का सफाया' करने के लिए तैयार होते देखा जा सकता है. हालांकि, ये वीडियो भी म्यांमार के ही थे. सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता. सीरिया का एक वीडियो भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मणिपुर हिंसा से जोड़कर शेयर किया गया.

ऑनलाइन फैल रही झूठी खबरों से जमीन पर हो रहे भयावह नुकसान

क्विंट को सैकुल पुलिस स्टेशन में 8 मई को दर्ज की गई एक शिकायत मिली, जिसमें कुकी बहुल बी फीनोम गांव के मुखिया ने कहा कि मैतेई समुदाय के कम से कम 800-1000 लोग गोला-बारूद के साथ उनके गांव में घुस आए और कथित तौर पर उनके घरों को जला दिया.

इस दौरान, पांच ग्रामीण जिनमें दो पुरुष और तीन महिलाएं थीं, बचने के लिए पास के जंगल में भाग गए, जिन्हें नोंगपोक सेकमई पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मियों ने बचा लिया. हालांकि, उन्हें भीड़ ने पकड़ लिया. भीड़ में ज्यादातर मैतेई समुदाय के पुरुष थे. इस भीड़ ने तीन महिलाओं के कपड़े उतरवाकर उन्हें निर्वस्त्र रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया.

शिकायतकर्ता ने दावा किया कि इन तीन महिलाओं में से 21 साल की एक महिला के साथ बेरहमी से गैंगरेप भी किया गया. जबकि उसके 56 साल के पिता और 19 साल के भाई दोनों की हत्या कर दी गई.

The Print के मुताबिक, भीड़ में शामिल ये लोग चिल्ला रहे थे, ''हम तुम्हारे साथ वही करेंगे जो तुम्हारे लोगों ने हमारी महिलाओं के साथ किया.''

हालांकि, डीजीपी पी डौंगेल ने स्पष्ट किया था कि चुराचांदपुर में रेप की कोई घटना नहीं हुई है, इसके बावजूद महिलाओं के साथ ये घटना हुई.

एसपी के मेघचंद्र सिंह ने 19 मई को एक प्रेस को बताया था कि ''हथियारों से लैस अज्ञात लोगों के खिलाफ नोंगपोक सेकमई पुलिस स्टेशन (थौबल जिला) में किडनैपिंग, गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज किया गया है.''

घटना के करीब 78 दिन बाद और FIR दर्ज होने के दो महीने बाद, 20 जुलाई को एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है.

पहले क्यों नहीं सामने आए ये मामले?

अब सवाल ये है कि मणिपुर में जातीय हिंसा दो महीने से ज्यादा समय से हो रही है, तो ये मामले आखिर सामने क्यों नहीं आए? जैसा कि रिसर्चर श्रीनिवास कोडली ने एक ट्वीट में बताया कि ऐसी घटनाओं के सामने आने में देरी राज्य में इंटनरेट बंद करने की वजह से हुई.

उन्होंने ट्वीट किया, ''संचार के माध्यम बंद करने की वजह से जिस हद तक हिंसा हो रही है, उसके बारे में लोगों को पता नहीं चल रहा है.''

राज्य सरकार ने 3 मई को ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया था. इससे न सिर्फ राज्य के अंदर और बाहर सूचना के प्रवाह पर असर पड़ा, बल्कि शिक्षा और आजीविका पर भी असर पड़ा.

मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद राज्य सरकार के निर्देश पर 20 जून को राज्य के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है.

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