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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार को आर्थिक मंदी की बात स्वीकार करके इससे उबरने पर ध्यान देना चाहिए. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि देश जिस तेजी से आगे जा रहा है, ऐसी तेजी पहले कभी नहीं देखी गई.
पीएम मोदी ने 12 सितंबर को अपनी नई सरकार के 100 दिनों को लेकर झारखंड में कहा
पीएम मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर करीब साढ़े छह साल में सबसे कम (5 फीसदी) रही है.
देश की आर्थिक हालत पर 12 सितंबर को ही पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि देश आर्थिक मंदी के चक्र में फंस चुका है और सरकार मान ही नहीं रही.
कांग्रेस की एक मीटिंग के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनमोहन सिंह ने कहा- रियल एस्टेस से मैन्युफेक्चरिंग तक हर सेक्टर में स्लोडाउन है. अगर हालात नहीं बदले तो सबसे बुरा असर रोजगार पर पड़ेगा. अगर इनकम लगातार कई महीने तक घटी तो युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के अवसर कम हो जाएंगे. ग्रोथ रेट लगातार नीचे जा रहा है और अब 5% पर आ गया है. सबसे खतरनाक बात ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी पांच साल की बीजेपी सरकार में बढ़ी ही नहीं है.
इस बीच इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (IMF) ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि को उम्मीद से काफी कमजोर बताया है. IMF प्रवक्ता गेरी राइस ने 12 सितंबर को कहा,
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही से पहले भारत में जीडीपी वृद्धि दर का पिछला सबसे निचला स्तर (4.9 फीसदी ) वित्त वर्ष 2012-13 की अप्रैल-जून तिमाही में दर्ज किया गया था.
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