‘मराठा आंदोलन से तेरा घाटा, मेरा कुछ नहीं जाता’

क्या BJP को 2019 में लोकसभा, विधानसभा चुनाव में मराठा आरक्षण आंदोलन की वजह से भारी कीमत चुकानी पड़ेगी?जवाब यहां है

रौनक कुकड़े
भारत
Updated:
महाराष्ट्र में हिंसक हुए मराठा आंदोलन का राजनीति पर क्या होगा असर?
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महाराष्ट्र में हिंसक हुए मराठा आंदोलन का राजनीति पर क्या होगा असर?
(फोटो: पीटीआई)

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क्या बीजेपी को 2019 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मराठा आरक्षण आंदोलन की वजह से भारी कीमत चुकानी पड़ेगी? पहली नजर में ऐसा लगता है कि फडणवीस सरकार के लिए मराठा आंदोलन बड़ी मुसीबत बन गया है. लेकिन थोड़ी गहराई में उतरें तो लगेगा कि बीजेपी के मुकाबले ज्यादा मुश्किल कांग्रेस के हिस्से में आएगी.

महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वाले जानकारों का कहना है कि मराठा आरक्षण के मुद्दे से बीजेपी को खास चुनावी नुकसान नहीं है. बल्कि उनका एनालिसिस एकदम अलग है. दरअसल, जानकार मानते है की मराठा समाज जितना आक्रामक होगा उतनी ही छोटी जातियां एकत्र होंगी जिसमें ओबीसी, दलित जैसे का समावेश है. यही वजह है केंद्र की मोदी सरकार हो या महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार को इस थ्योरी पर ज्यादा भरोसा है. लेकिन एक बात और साफ है कि अगर आंदोलन के कारण लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ा तो इसका असर बीजेपी पर ही पड़ेगा.

महाराष्ट्र का जातीय समीकरण

महाराष्ट्र के जातीय समीकरण पर ध्यान दें तो मुख्य रूप से महाराष्ट्र में ब्राह्मण, ओबीसी, मराठा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति जैन और मुस्लिम प्रमुख वोटर हैं. जानकारी के मुताबिक,

  • महाराष्ट्र में मराठा समुदाय सबसे बड़ा समाज है जिसकी आबादी करीब 30% है.
  • मराठा समाज में ‘96 कुली मराठा’, ‘देशमुख’ और ‘कुणबी मराठा’ शामिल हैं.
  • इन 30 फीसदी मराठा समाज में से विदर्भ में रहने वाले मराठा समाज के लोग जिन्हें 'कुणबी' मराठा कहा जाता है उनका समावेश पहले ही ओबीसी में हो चुका है.
  • इनकी संख्या करीब 12 से 13 फीसदी बताई जाती है.
  • ओबीसी करीब 27 फीसदी हैं और अच्छी खासी पकड़ रखता है.
  • वहीं कुल आबादी का 19 फीसदी दलित वोटर हैं
ओबीसी समाज के नेताओं का मानना है की मराठाओं को आरक्षण देना है तो सरकार दे लेकिन ओबीसी कोटे में से नहीं चलेगा.

2014 लोकसभा का वोटिंग पैटर्न क्या कहता है?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 27.6% वोट मिले थे. बीजेपी को अपर क्लास का 52% वोट हासिल हुआ था, वहीं ओबीसी का 38%, 33% एसटी, 19% एससी और 24% समुदाय का वोट हासिल हुआ था. बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 23 सीटों पर जीत हासिल की थी.

यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि 18 सीट पर जीत हासिल करने वाली शिवसेना को 20.8 फीसदी वोट मिला जिसमें सबसे ज्यादा मराठा वोट थे.
  • कांग्रेस को 18.3% वोट मिले जिसमें तकरीबन 40% वोट दलितों के और 10% मराठा वोट मिलने का अनुमान है.
  • एनसीपी ने 4 सीटें जीती और उनका वोट शेयर 16.1% रहा है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनसीपी को 50% मराठा और दलित वोट मिला था.
  • महाराष्ट्र में ये माना जाता है कि बीजेपी का कोर वोटर हमेशा से ओबीसी रहा है. महाराष्ट्र में बीजेपी के कई बड़े नेता इसी समाज से आते हैं.

कांग्रेस की उलझन क्या है?

कांग्रेस के लिए उलझन वाली बात ये है कि उनकी सहयोगी पार्टी एनसीपी मराठा पॉलिटिक्स के लिए जानी जाती है. राज्य में चल रहे मराठा आंदोलन को देखते हुए कांग्रेस को ऐसी आशंका है कि कहीं उसे भी 'खुले तौर पर' इस आंदोलन का समर्थन करने वाली पार्टी न समझा जाए.

मराठा समाज की मांग और सरकार की अड़चन

मराठा समाज की मांग है की उन्हें सरकारी नौकरी और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण मिले. कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने अपने दौर में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मराठा समुदाय को 16% और मुस्लिमों को 5% आरक्षण दिया था लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. इससे गैर-संवैधानिक बताया था.

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Published: 30 Jul 2018,10:21 PM IST

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