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कोलकाता की रहने वाली प्राक्षी साहा एक स्टूडेंट हैं, एक ब्लॉगर हैं और जेंडर इक्वलिटी एक्टिविस्ट हैं. 18 साल की प्राक्षी 15 साल की उम्र में ही एक इंस्टाग्राम पेज के जरिए एक्टिविस्ट बन गई थीं.
क्विंट से बातचीत में प्राक्षी ने बताया कि उन्होंने अपनी ब्लॉगिंग का टैलेंट उन लोगों की कहानियां लोगों तक पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया, जो अपने जेंडर को लेकर संघर्ष कर रहे थे.
प्राक्षी SheSays India की जेंडर एडवोकेसी लीडर भी हैं. ये ऑर्गनाइजेशन महिला अधिकारों और लैंगिक समानता के लिए काम करता है और संयुक्त राष्ट्र भी इसकी तारीफ कर चुका है. प्राक्षी इस संगठन के लिए शैक्षणिक संस्थानों में जेंडर इक्वलिटी की वर्कशॉप करवाती हैं.
प्राक्षी Ungender नाम से एक कैंपेन भी चलाती हैं, जो समाज में जेंडर को लेकर मौजूद धारणाओं को तोड़ता है. प्राक्षी 2019 लोकसभा चुनावों में पहली बार वोट डालेंगी.
पहली बार वोटर के तौर पर, उनके लिए सबसे जरूरी मुद्दे जेंडर और जेंडर इक्वलिटी हैं.
सरकार से प्राक्षी की मांग है कि महिलाओं का प्रतिनिधित्व बराबर हो और उन्हें और LGBTQ समुदायों को बराबर अधिकार मिलें. धारा 377 खत्म होने के बाद अब इस समुदाय को बराबर सम्मान, अवसर और आगे बढ़ने के मौके दिए जाएं.
क्या आप प्राक्षी जैसी किसी युवा अचीवर को जानते हैं? क्या वह अगले लोकसभा चुनाव में पहली बार मतदान करेंगी? तो हमें बताइए! क्विंट के मी, द चेंज अभियान के तहत, हम युवा महिला अचीवर्स की तलाश कर रहे हैं!
पहली बार वोट डालने जा रही महिला मतदाता को नॉमिनेट करें, जो अपनी दुनिया बदल रही है!
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