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लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने ताजा बयान जारी किया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ऐतिहासिक रूप से साफ है कि गलवान घाटी किसकी है. साथ ही बयान में ये भी बताया गया कि भारतीय सेना गलवान घाटी इलाके को अच्छी तरह समझती हैं. 'जैस सेना दूसरे इलाकों में LAC का ईमानदारी से इसका पालन करती है, यहां भी वही करती है.' इसके पहले चीनी विदेश मंत्रालय ने 19 जून को दावा किया था कि गलवान घाटी उनके हिस्से वाली LAC में आती है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है-
इसके पहले 19 जून को चीन के विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीन की तरफ है. हालांकि, भारत पहले ही गलवान घाटी पर चीनी सेना के संप्रभुता के दावे को खारिज कर चुका है.
इसके पहले गलवान घाटी में भारत और चीनी सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इसके बाद पीएम मोदी ने देश के सामने संदेश में कहा था ''पूर्वी लद्दाख में जो हुआ...न वहां कोई हमारी सीमा में घुस आया है और न ही कोई घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है.'' पीएम के इस बयान पर पीएमओ ने बयान जारी कर कहा कि 'प्रधानमंत्री ने जब कहा कि कोई घुसपैठ नहीं हुई है तो उनका मतलब 15 जून से था. 15 जून को घुसपैठ की कोशिश हुई थी जिसे हमारे जांबाजों ने नाकाम कर दिया.'
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