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भगोड़े कारोबारी मेहुल चौकसी ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. इसके साथ ही उन्होंने एंटीगुआ में अपना पासपोर्ट भी सौंप दिया है. उनके इस कदम को भारत में प्रत्यर्पण से छूट पाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. चौकसी लोन फ्रॉड के मामले में भारत की कई एजेंसियों के लिए वॉन्टेड हैं.
एंटीगुआ स्थित भारतीय उच्चायोग में चौकसी ने अपने पासपोर्ट के साथ 177 डॉलर भी जमा किए हैं. एनडीटीवी के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि चौकसी ने अपना नया पता जॉली हार्बर मार्क्स एंटीगुआ बताया है.
एंटीगुआ चोकसी के भारत में प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई कर रहा है. हालांकि, भारत और एंटीगुआ के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि नहीं है. चौकसी को 2018 में एंटीगुआ और बरमूडा की नागरिकता मिल गई थी. ऐसे में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चौकसी दोहरी नागरिकता नहीं रख सकते.
पंजाब नेशनल बैंक फ्रॉड मामले में मेहुल चोकसी और नीरव मोदी 13000 करोड़ रुपये के फ्रॉड के आरोपी हैं. ये दोनों ही देश छोड़ जा चुके हैं. दिसंबर में सीबीआई के अनुरोध पर इंटरपोल ने चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया था.
चोकसी ने मुंबई स्थित एक अदालत से कहा था कि वह अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से एंटीगुआ से भारत की 41 घंटे लंबी यात्रा नहीं कर सकते. इसके साथ ही उन्होंने अपने लिखित बयान में कहा था कि ईडी ने उनकी स्थिति के बारे में ना बताकर अदालत को भटकाया है. उन्होंने ईडी पर आरोप लगाया था कि उनकी संपत्तियों की कीमत जानबूझकर कम बताई गई है, जिससे ज्यादा संपत्तियों को जब्त किया जा सके. इससे पहले ईडी ने चोकसी की संपत्तियों पर छापेमारी की थी.
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