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देश में मनरेगा (MGNREGA) के तहत रोजगार मांगने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इस साल मई महीने में करीब 3.1 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत रोजगार की मांग की है. जो पिछले साल मई की तुलना में लगभग 11 फीसदी अधिक है. वहीं कोरोनाकाल से पहले की तुलना में ये बहुत अधिक है.
एक तरफ मनरेगा के तहत रोजगार की मांग बढ़ रही है. वहीं दूसरी तरफ सवाल है कि ऐसा क्या हुआ जो इतनी संख्या में लोग मनरेगा में काम करना चाहते हैं? इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, मनरेगा के तहत रोजगार मांगने वालों की संख्या में बढ़ोतरी के पीछे सबसे बड़ा कारण है- ग्रामीण क्षेत्रों में धीमी रफ्तार से इकनॉमी का पटरी पर आना. इसका मतलब है बाकी जगहों पर लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है और वो मजबूरी में मनरेगा की ओर ताक रहे हैं.
मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य निखिल डे ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि, "आमतौर पर मनरेगा में जब मजदूरी का भुगतान समय पर और जल्दी होता है तो अधिक मजदूर काम के लिए आते हैं. वहीं जब भुगतान में देरी होती है, तो वे रोजगार के अन्य रास्ते तलाशते हैं."
भारत में बेरोजगारी दर अभी भी 7 फीसदी से ऊपर है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के मुताबिक मई महीने में देश में बेरोजगारी दर 7.12 फीसदी रहा. ताजा आंकड़ों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में 8.21 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 6.62 फीसदी बेरोजगारी दर है.
मनरेगा में रोजगार की बढ़ती मांग को महंगाई से भी जोड़कर देखा जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी लगातार बढ़ती महंगाई की मार से परेशान हैं. सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल, 2022 में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) बढ़कर 7.79 फीसदी तक पहुंच गई है, जो मार्च महीने में 6.95 प्रतिशत थी.
खाने पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों और महंगे ईंधन के चलते खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) का आंकड़ा 8 साल के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है. इससे अधिक खुदरा महंगाई दर सितंबर 2020 में 7.34 फीसदी रही थी.
भारत में बेरोजगारी दर अभी भी 7 फीसदी से ऊपर है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के मुताबिक मई महीने में देश में बेरोजगारी दर 7.12 फीसदी रहा. ताजा आंकड़ों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में 8.21 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 6.62 फीसदी बेरोजगारी दर है.
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. यह वित्त वर्ष 2021-22 के लिये संशोधित अनुमान 98,000 करोड़ रुपए से लगभग 25,000 करोड़ रुपए (25 फीसदी) कम है.
अखिल भारतीय किसान सभा और नरेगा संघर्ष मोर्चा (NSM) जैसे संगठनों ने मनरेगा के लिये आवंटन की अपर्याप्तता को लेकर चिंता जताई है.
मनरेगा दुनिया के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है. साल 2005 में इसकी शुरुआत हुई थी. योजना का प्राथमिक उद्देश्य किसी भी ग्रामीण परिवार के सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देना है.
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