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मिग 21 एक बार फिर दुर्घटनाग्रस्त (Mig 21 Crash) हो गया है और विंग कमांडर हर्षित सिन्हा की जान चली गई. ये दुर्घटना भी ट्रेनिंग के दौरान ही हुई है. मिग 21 लड़ाकू विमान पिछले काफी समय से लगातार दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. अब तक 400 से ज्यादा बार दुर्घटनाग्रस्त हुए मिग 21 ने करीब 200 से अधिक लोगों की जान ली है. अकेले साल 2021 में ही 4 बार मिग 21 दुर्घटनाग्रस्त हुआ है.
24 दिसंबर 2021: राजस्थान के जैसलमेर के पास मिग 21 ट्रेनिंग के दौरान क्रैश हुआ, इसमें विंग कमांडर हर्षित सिन्हा की मौत हुई
20 मई 2021: पंजाब के मोगा में मिग 21 बायसन फाइटर एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया, इसमें स्क्वॉड्रन लीडर अभिनव चौधरी की मौत हुई
17 मार्च 2021: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में MiG-21 Bison क्रैश, इसमें ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता की जान गई
5 जनवरी 2021: तकनीकी खराबी के चलते राजस्थान के सूरतगढ़ में मिग 21 विमान हादसे का शिकार, इसमें किसी की जान नहीं गई
1971 की जंग से लेकर बालाकोट एयरस्ट्राइक तक में अहम भूमिका निभाने वाले मिग 21 फाइटर जेट को ‘उड़ता ताबूत’ की संज्ञा दी जाने लगी है. इसकी बड़ी वजह है मिग 21 का लगातार दुर्घटनाग्रस्त होना. रिपोर्ट्स के मुताबिक मिग 21 की वजह से अब तक करीब 200 पायलट अपनी जान गंवा चुके हैं.
पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने 2012 में संसद में कहा था कि रूस से खरीदे गए 872 मिग विमानों में से आधे से अधिक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. इसमें 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है. जिनमें 171 पायलट, 39 सिविलियन और 08 अन्य सेवाओं के लोग शामिल थे.
बूढ़े हो चुके योद्धा मिग 21 को सिर्फ ‘उड़ता ताबूत’ ही नहीं बल्कि ‘विडो मेकर’ यानी विधवा बनाने वाला विमान भी कहा जाता है. फिल्म रंग दे बसंती में भी इस विमान की खामियों को दिखाया गया है.
मिग 21 को रूस ने बनाया था और उसी से हमने भी खरीदा था, लेकिन रूस ने इस विमान को 1985 में ही रिटायर कर दिया था. इतना ही नहीं अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे छोटे देश भी मिग 21 का इस्तेमाल बंद कर चुके हैं. भारत ने रूस से मिग 21 1963 में खरीदे थे और 1990 इसकी रिटायरमेंट अवधि तय की गई थी, लेकिन भारत में मिग 21 को अभी भी अपग्रेड करके इस्तेमाल किया जा रहा है.
द क्विंट से बात करते हुए वायु सेना के वायुसेना के रिटायर्ड अधिकारी एयर मार्शल सुनील नानोदकर ने मिग-21 के इस्तेमाल पर कहा था कि,
2014 में भारतीय वायुसेना प्रमुख रहे अरूप राहा ने इस लड़ाकू विमान को लेकर कहा था कि पुराने विमानों को हटाने में भारत जितनी देरी करेगा भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा.
भारतीय वायु सेना में शामिल होने का बाद कई बार मिग 21 अपग्रेड हो चुका है, लेकिन दुर्घटनाएं नहीं रुकी. द प्रिंट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक वायुसेना अधिकारी ने बताया कि जेट द्वारा भार उठाए जा सकने की क्षमता को अपग्रेड करना संभव नहीं है, क्योंकि इसका एयर फ्रेम इस तरह से ही डिजाइन किया गया है.
मिग 21 को आज हम भले ही सबसे ज्यादा बार दुर्घटना का शिकार होते देखते हैं लेकिन ये भी सत्य है कि वायु सेना के बेड़े में शामिल होने के बाद से मिग 21 ने हर युद्ध में सेना का साथ दिया. 1971 की जंग में पाकिस्तानी सेना पर मिग 21 ने खूब बमबारी की थी. 1999 के करगिल युद्ध में भी मिग 21 ने साथ दिया. इतना ही नहीं बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी मिग 21 शामिल थे. विंग कमांडर अभिनंदन ने अपने मिग-21 बायसन से ही पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराया था.
मिग 21 को नए पायलटों की ट्रेनिंग के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया है. 1980 से लेकर 2000 के दशक की शुरुआत तक पायलटों की ट्रेनिंग के लिए सुपरसोनिक मिग-21 फाइटर जेट को ही इस्तेमाल किया गया. आज भी इस फाइटर जेट को ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
मिग-21 लड़ाकू विमान मिग कई घातक एयरक्राफ्ट शॉर्ट रेंज और मीडियम रेंज एयरक्राफ्ट मिसाइलों से हमला करने में सक्षम है. इस लड़ाकू विमान की स्पीड 2229 किलोमीटर प्रति घंटा की है, जो उस समय सबसे तेज उड़ान भरने वाला लड़ाकू विमान था. इसकी रेंज 644 किलोमीटर के आसपास थी, हालांकि भारत का बाइसन अपग्रेडेड वर्जन लगभग 1000 किमी तक उड़ान भर सकता है. इसमें टर्बोजेट इंजन लगा हुआ है, जो विमान को सुपरसोनिक की रफ्तार देता है.
1963 में मिग 21 को भारतीय सेना में शामिल किया गया था और 1990 में इसे रिटायर हो जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. जिसके बाद इसे अपग्रेड किया जाता रहा है, मिग 21 बाइसन लड़ाकू विमान मिग-21 का एक अपग्रेडेड वर्जन है. इस वर्जन का इस्तेमाल केवल भारतीय वायुसेना ही करती है. बाकी दूसरे देश इसके अलग-अलग वैरियंट का प्रयोग करते हैं. सितंबर, 2018 तक वायु सेना के पास लगभग 120 मिग-21 विमान थे.
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