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सुरक्षाबलों ने बीते शनिवार 13 नवंबर को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के जंगलों में हुई मुठभेड़ में 26 नक्सलियों को मार गिराया. इनमें 50 लाख रुपये का इनामी नक्सल लीडर मिलिंद तेलतुंबडे (Milind Teltumbde) भी शामिल था. मिलिंद तेलतुंबडे की सुरक्षा बलों (Security Forces) को काफी लंबे समय से तलाश थी. आपको बताते हैं कि कौन था यह नक्सली नेता और सुरक्षा बल इसके एनकाउंटर को बड़ी कामयाबी क्यों बता रहे हैं.
मिलिंद तेलतुंबडे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) जो कि एक बैन किया हुआ संगठन है, उसका सक्रिय सदस्य था. मिलिंद तेलतुंबडे महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के जंगली इलाको में रहकर अपनी गतिविधियां चलाता था.
मिलिंद तेलतुंबडे को उसके साथी 'जीवा' और 'दीपक' के नाम से भी बुलाते थे. मिलिंद की उम्र लगभग 57 वर्ष बताई जा रही है. मिलिंद तेलतुंबडे का जन्मस्थान तो स्पष्ट नहीं लेकिन मूल रूप से वह मराठी था. मिलिंद तेलतुंबडे ने पढ़ाई में आईटीआई की जिसके बाद उसने बतौर टेक्निशियन वेस्टर्न कोल्फील्ड्स लिमिटेड में काम किया.
यहां वो अखिल महाराष्ट्र कामगार यूनियन का सक्रिय सदस्य बना और अपने मैनेजर से विवाद हो जाने के बाद उसने नक्सलवाद का रास्ता अपना लिया. साल 1980 से मिलिंद तेलतुंबडे ने नक्सलवाद अपना लिया था, उसने वेस्टर्न कोल्फील्ड्स लिमिटेड के मैनेजर को जान से मरने की कोशिश की, लेकिन इसमें वह नाकाम रहा.
मिलिंद तेलतुंबडे को कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी में महाराष्ट्र यूनिट का सेक्रेटरी बनाया गया. जिसके बाद वो इस प्रतिबंधित संगठन की केंद्रीय कमेटी का हिस्सा बना और कुछ समय बाद उसे सीपीआई -माओवादी की महाराष्ट्र, छत्तीसगढ और मध्यप्रदेश यूनिट का इंचार्ज बना दिया गया.
मिलिंद तेलतुंबडे देश के जाने-माने स्कॉलर , लेखक और सिविल राइट एक्टिविस्ट आनंद तेलतुंबडे का भाई था. एल्गार परिषद के कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में जांच एजेंसियो ने हिंसा के लिए मुख्य रूप से मिलिंद तेलतुंबडे को दोषी ठहराया था. जांच एजेंसियो ने दावा किया था के एल्गार परिषद में हुई हिंसा के लिए फंडिंग मिलिंद तेलतुंबडे ने की.
एल्गार परिषद हिंसा में मिलिंद तेलतुंबडे के भाई आनंद तेलतुंबडे को भी गिरफ्तार किया गया था. NIA ने दावा किया था कि आनंद तेलतुंबडे ने माओवादियों के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया.
पिछले साल गिरफ्तार हुए मिलिंद तेलतुंबडे के एक साथी ने पूछताछ के दौरान उसके जीवनयापन के तरीके को लेकर कई तरह के खुलासे किये थे.
उसने बताया था कि मिलिंद कई तरह की बीमारियों से ग्रसित है और कई प्रकार की दवाएं हमेशा अपने साथ रखता है. जंगल में वह रेडियो के माध्यम से मराठी और हिंदी खबरें सुनता था. दीपक तेलतुंबडे के अनुसार वह मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के जंगलो में घूम-घूम कर अपने ठिकाने बदलता रहता था.
पुलिस को सूचना थी कि बड़ी तदाद में नक्सली गढ़चिरौली के जंगलो में ठिकाना बनाए हुए हैं. लेकिन उन्हें इसकी सूचना नहीं थी कि वहां मिलिंद तेलतुंबडे भी मारा जाएगा, जिसकी वह और केंद्रीय जांच एजेंसियां उसकी लंबे समय से तलाश में थीं.
गढ़चिरौली के इतिहास में यह अबतक का सबसे लंबा चलने वाला एनकाउंटर बताया जा रहा है. मिलिंद तेलतुंबडे के अलावा सुरक्षाबलों ने दो अन्य इनामी नक्सलियों को भी मार गिराया.
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