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झारखंड की राजधानी रांची में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बालाश्रय में नवजात बच्चों को बेचने के मामले में पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. मामले में गिरफ्तार हुई एक नन ने यह बात कबूल कर ली है कि उसने एक और नन के साथ मिलकर मिलकर बच्चे बेचे थे.
खबर है कि नन ने 50-50 हजार रुपये में दो बच्चों, और तीसरे बच्चे को 1 लाख बीस हजार रूपए में बेचा था. मामला सामने आने पर पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए बेचे गए तीन बच्चों को छापेमारी कर बरामद कर लिया है, जबकि एक बच्चे की तलाश जारी है.
गुरुवार को इंडियन बिशप्स कांफ्रेंस के महासचिव बिशप थियोडोर मैस्करेनहास ने दावा किया था कि मदर टेरेसा की 'मिशनरीज आफ चैरिटी' बच्चों की खरीद-फरोख्त से जुड़े इस गिरोह में बिल्कुल भी शामिल नहीं है. अगर मिशनरी से जुड़े एक-दो लोग दोषी भी हैं, तो उनकी गलती के लिए पूरी मिशनरी को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए.
पिछले दिनों रांची पुलिस ने मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बालाश्रय 'निर्मल ह्रदय' में नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त का खुलासा किया था. मामले में रांची पुलिस ने मिशनरी के दो नन और एक महिला कर्मचारी को गिरफ्तार किया था. इन लोगों पर आरोप है कि वे कई नवजात बच्चों को बेच चुके हैं.
रांची में मिशनरी ऑफ चैरिटी अपने कई होम्स से 280 महिलाओं द्वारा जन्म दिए गए नवजात बच्चों के रिकॉर्ड मुहैया कराने में नाकामयाब रही है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक संत मदर टेरेसा की ओर से स्थापित कई होम्स में साल 2015 से 2018 के बीच 450 गर्भवती महिलाओं को भर्ती कराया गया था, लेकिन यहां से केवल 170 नवजात बच्चों का रिकॉर्ड मिला और बाकी 280 बच्चों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.
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सोर्स: IANS और न्यूज 18
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