आज के समय में मेडिकल की दुनिया में इतनी तरक्की होने के बावजूद दुनियाभर में नवजात बच्चों की हालत काफी चिंताजनक है. हर साल दुनियाभर में 26 लाख बच्चों की मौत जन्म लेने के एक महीने के अंदर ही हो जाती है, वहीं इसके अलावा करीब 26 लाख बच्चे हर साल मृत ही पैदा होते हैं.
यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान में नवजात बच्चों को जीवित रखने के लिए सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
भारत को सावधान होने की जरूरत
यूनिसेफ की तरफ से जारी 'एवरी चाइल्ड अलाइव' रिपोर्ट के मुताबिक, नवजात बच्चों के जन्म के लिहाज से पाकिस्तान सबसे ज्यादा जोखिम भरा देश है. वहीं, भारत को उन दस देशों में रखा गया है, जहां नवजात बच्चों को जीवित रखने के लिए सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
इन्हें सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत
यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश, इथियोपिया, गिनी-बिसाउ, भारत, इंडोनेशिया, मालावी, माली, नाइजीरिया, पाकिस्तान और तंजानिया को सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित करने वाले देशों में रखा गया है.
इन दस देशों में दुनियाभर में नवजात बच्चों की मौत के आधे से ज्यादा मामले आते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई देशों में प्रसव के समय या उसके तुरंत बाद जच्चा-बच्चा की मौत का जोखिम बहुत कम होता है, वहीं कुछ देशों में इस मामले में खतरा अधिक माना जाता है.
नवजात संबंधी मृत्युदर को देखते हुए बच्चों के जन्म के लिहाज से पाकिस्तान सबसे जोखिमभरा देश है. साल 2016 में पाकिस्तान में जन्मे प्रति हजार बच्चों में से 46 की एक महीने का होने से पहले मौत हो गयी. यहां 2014 में प्रति दस हजार आबादी के लिए केवल 14 प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवर थे.
इन देशों में नवजात शिशुओं की बेहतर स्थिति
रिपोर्ट के मुताबिक, कम मृत्युदर की बात करें तो जन्म लेने के लिहाज से जापान, आइसलैंड और सिंगापुर सबसे सुरक्षित देश हैं. इन देशों में जन्म लेने के पहले 28 दिन में प्रति हजार बच्चों पर मौत का केवल एक मामला सामने आता है. इस सूची में इन तीन देशों के बाद फिनलैंड, एस्टोनिया, स्लोवेनिया, साइप्रस, बेलारूस, कोरिया गणराज्य, नार्वे और लक्जमबर्ग के नाम हैं.
- जापान
- आइसलैंड
- सिंगापुर
- फिनलैंड
- एस्टोनिया
- स्लोवेनिया
- साइप्रस
- बेलारूस
- कोरिया गणराज्य
- नार्वे
(क्विंट और बिटगिविंग ने मिलकर 8 महीने की रेप पीड़ित बच्ची के लिए एक क्राउडफंडिंग कैंपेन लॉन्च किया है. 28 जनवरी 2018 को बच्ची का रेप किया गया था. उसे हमने छुटकी नाम दिया है. जब घर में कोई नहीं था,तब 28 साल के चचेरे भाई ने ही छुटकी के साथ रेप किया. तीन सर्जरी के बाद छुटकी को एम्स से छुट्टी मिल गई है लेकिन उसे अभी और इलाज की जरूरत है ताकि वो पूरी तरह ठीक हो सके. छुटकी के माता-पिता की आमदनी काफी कम है, साथ ही उन्होंने काम पर जाना भी फिलहाल छोड़ रखा है ताकि उसकी देखभाल कर सकें. आप छुटकी के इलाज के खर्च और उसका आने वाला कल संवारने में मदद कर सकते हैं. आपकी छोटी मदद भी बड़ी समझिए. डोनेशन के लिए यहांक्लिक करें. )
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