Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019MP चुनाव नतीजों से छिड़ी बहस,’मोदी-मोदी’ की जगह ‘योगी-योगी’ ने ली?

MP चुनाव नतीजों से छिड़ी बहस,’मोदी-मोदी’ की जगह ‘योगी-योगी’ ने ली?

BJP में कौन है बड़ा स्टार प्रचारक? योगी या मोदी? MP चुनाव के बाद छिड़ी नई बहस.

विक्रांत दुबे
भारत
Updated:
बीजेपी का स्टार कैंपेनर या स्टार प्रचारक कौन है?
i
बीजेपी का स्टार कैंपेनर या स्टार प्रचारक कौन है?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

पांच राज्यों के चुनावों में बीजेपी की हार के बाद पार्टी भले हार-जीत की वजह पर माथापच्ची कर रही हो, लेकिन लोगों के बीच एक अलग ही चर्चा चल रही है. वो ये कि बीजेपी का स्टार कैंपेनर या स्टार प्रचारक कौन है? वजह ये है कि बीजेपी में स्टार प्रचारकों की भीड़ के बीच इन चुनावों में सबसे ज्यादा रिजल्ट ओरियंटेड रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.

हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में योगी का स्ट्राइक रेट 50 फीसदी से ज्यादा रहा. मध्य प्रदेश में तो आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पीछे छोड़ दिया है. स्ट्राइक रेट से हमारा मतलब है कि जिस सीट पर स्टार कैंपेनर की रैली हुई, वो सीट उसकी पार्टी ने जीती.

‘आप को अली मुबारक, मेरे लिए तो बजरंगबली काफी’

विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ अपने तीखे भगवाधारी नारों की बदौलत खूब सुखिर्यों में रहे. हालांकि राजस्थान के अलवर में योगी हनुमानजी को 'दलित' कहकर फंस भी गये और यह सीट बीजेपी हार गई. लेकिन हिंदुत्व के ब्रांड एंबेसडर के तौर पर योगी ने अपनी रेटिंग खूब बढ़ाई.

पार्टी सूत्रों की मानें, तो तीनों राज्यों में योगी की रैलियों की डिमांड ठीक-ठाक रही.

चुनाव से पहले बीजेपी की सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति‍ मध्य प्रदेश में मानी जा रही थी. वहां योगी ने 17 रैलियां कीं, जिनमें 11 पर बीजेपी की जीत हुई है और 6 में हार.

इन सीटों पर योगी ने की रैली और बीजेपी को मिली जीत

  1. रतलाम (city)
  2. खुराई
  3. सागर
  4. खंडवा
  5. महू
  6. उज्जैन (south)
  7. नरसिंहगढ़
  8. शमसादाबाद
  9. आष्टा
  10. होशंगाबाद
  11. डॉ. अंबेडकर नगर

इन सीटों पर मिली हार

  1. इंदौर 1
  2. राऊ
  3. भोपाल
  4. विदिसा
  5. अलोट
  6. बदनावर
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मध्य प्रदेश का रिजल्ट क्यों है अहम

माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से लोगों की नाराजगी के चलते राजस्थान तो कांग्रेस जीत ही लेगी. छत्तीसगढ़ छोटा राज्य है, तो उसका पॉलिटिकल डिविडेंड भी कम है. तो बीजेपी के लिए सबसे अहम है मध्य प्रदेश, जिसका नतीजा 2019 के आम चुनाव पर सीधा असर डालेगा.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने काफी पहले से एमपी में रैलियों और रोड शो की शुरुआत कर दी थी. उनमें काफी भीड़ भी जुट रही थी, लेकिन बीजेपी का दावा था कि आखिरी दौर में मोदी की रैलियां सबकी हवा खराब कर देंगी. लेकिन यहां पीएम की रैली भीड़ तो जुटा पाई, लेकिन उतने वोट नहीं.

मध्य प्रदेश में मोदी ने कुल 10 रैलियां कीं. रैलियों की तैयारी इस तरीके से की गयी थी कि उसका असर आसपास के विधानसभाओं पर पड़े. लेकिन रीवा जिले के अलावा उनकी सभाओं का व्यापक असर नहीं दिखा. जिन 10 स्थानों पर मोदी की रैलियां थीं, वहां की 6 विधानसभा में बीजेपी की जीत और 4 में हार हुई है. हालांकि जीते हुए जबलपुर कैंट और इंदौर-2 विधानसभा बीजेपी की परम्परागत सीट मानी जाती है. दोनों सीटों को बीजेपी पिछले 6 बार से लगातार जीतती आ रही है. लिहाजा यह जीत मोदी की एकाउंट में नहीं जुड़ रही है.

पीएम मोदी ने इन सीटों पर की रैली और बीजेपी जीती

  1. मंदसौर
  2. इंदौर 2 (इस सीट पर बीजेपी 6 बार से लगातार जीत रही है)
  3. झाबुआ
  4. शहडोल
  5. जबलपुर (कैंट विधानसभा) (इस सीट पर बीजेपी 6 बार से लगातार जीत रही है)
  6. रीवा

इन सीटों पर मिली हार

  1. ग्वालियर ( पूर्वी विधानसभा)
  2. छिन्दवाड़ा
  3. छतरपुर
  4. विदिशा

अब इस रिपोर्ट कार्ड को आधार बनाकर योगी खेमे के लोग ये साबित करने में लगे हैं कि हिंदुत्व का असली ब्रांड योगी आदित्यनाथ हैं, पीएम मोदी नहीं. चुनावी रिजल्ट के कुछ घंटे बाद ही लखनऊ के सड़कों पर “जुमलेबाज का नाम मोदी, हिन्दुत्व ब्रांड योगी” के नारों के साथ होर्डिंग दिखने लगे.

लखनऊ की सड़कों पर नारों के साथ होर्डिंग(फोटो: Twitter)

इसमें शक नहीं है कि स्टार प्रचारक के तौर पर योगी की हैसियत तो बढ़ी है. वो गुजरात, तेलंगाना और केरल से लेकर नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों तक रैलियां कर रहे हैं. लेकिन एक राज्य के नतीजों के बल पर उन्हें पीएम मोदी से बड़ा स्टार प्रचारक मान लेना तो जल्दबाजी होगी. वैसे ‘योगी बनाम मोदी’ यूपी के लोगों के लिए बढ़िया टाइम-पास बहस है, जो 2019 के लोकसभा चुनावों तक तो चलेगी.

ये भी पढ़ें- 2019 के लिए संदेश ‘न हिंदू न मुसलमान’, बस ‘किसान और नौजवान’

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 13 Dec 2018,05:51 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT