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पांच राज्यों के चुनावों में बीजेपी की हार के बाद पार्टी भले हार-जीत की वजह पर माथापच्ची कर रही हो, लेकिन लोगों के बीच एक अलग ही चर्चा चल रही है. वो ये कि बीजेपी का स्टार कैंपेनर या स्टार प्रचारक कौन है? वजह ये है कि बीजेपी में स्टार प्रचारकों की भीड़ के बीच इन चुनावों में सबसे ज्यादा रिजल्ट ओरियंटेड रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.
हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में योगी का स्ट्राइक रेट 50 फीसदी से ज्यादा रहा. मध्य प्रदेश में तो आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पीछे छोड़ दिया है. स्ट्राइक रेट से हमारा मतलब है कि जिस सीट पर स्टार कैंपेनर की रैली हुई, वो सीट उसकी पार्टी ने जीती.
विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ अपने तीखे भगवाधारी नारों की बदौलत खूब सुखिर्यों में रहे. हालांकि राजस्थान के अलवर में योगी हनुमानजी को 'दलित' कहकर फंस भी गये और यह सीट बीजेपी हार गई. लेकिन हिंदुत्व के ब्रांड एंबेसडर के तौर पर योगी ने अपनी रेटिंग खूब बढ़ाई.
पार्टी सूत्रों की मानें, तो तीनों राज्यों में योगी की रैलियों की डिमांड ठीक-ठाक रही.
माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से लोगों की नाराजगी के चलते राजस्थान तो कांग्रेस जीत ही लेगी. छत्तीसगढ़ छोटा राज्य है, तो उसका पॉलिटिकल डिविडेंड भी कम है. तो बीजेपी के लिए सबसे अहम है मध्य प्रदेश, जिसका नतीजा 2019 के आम चुनाव पर सीधा असर डालेगा.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने काफी पहले से एमपी में रैलियों और रोड शो की शुरुआत कर दी थी. उनमें काफी भीड़ भी जुट रही थी, लेकिन बीजेपी का दावा था कि आखिरी दौर में मोदी की रैलियां सबकी हवा खराब कर देंगी. लेकिन यहां पीएम की रैली भीड़ तो जुटा पाई, लेकिन उतने वोट नहीं.
अब इस रिपोर्ट कार्ड को आधार बनाकर योगी खेमे के लोग ये साबित करने में लगे हैं कि हिंदुत्व का असली ब्रांड योगी आदित्यनाथ हैं, पीएम मोदी नहीं. चुनावी रिजल्ट के कुछ घंटे बाद ही लखनऊ के सड़कों पर “जुमलेबाज का नाम मोदी, हिन्दुत्व ब्रांड योगी” के नारों के साथ होर्डिंग दिखने लगे.
इसमें शक नहीं है कि स्टार प्रचारक के तौर पर योगी की हैसियत तो बढ़ी है. वो गुजरात, तेलंगाना और केरल से लेकर नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों तक रैलियां कर रहे हैं. लेकिन एक राज्य के नतीजों के बल पर उन्हें पीएम मोदी से बड़ा स्टार प्रचारक मान लेना तो जल्दबाजी होगी. वैसे ‘योगी बनाम मोदी’ यूपी के लोगों के लिए बढ़िया टाइम-पास बहस है, जो 2019 के लोकसभा चुनावों तक तो चलेगी.
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