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RSS समाज के एक धड़े के लिए नहीं, पूरे देश के लिए: मोहन भागवत 

आरएसएस के कार्यक्रम में मोहन भागवत के भाषण की हर बड़ी बात यहां जानिए

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भारत
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RSS समाज के एक धड़े के लिए नहीं, पूरे देश के लिए: मोहन भागवत
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RSS समाज के एक धड़े के लिए नहीं, पूरे देश के लिए: मोहन भागवत
(फोटो: ट्विटर\@RSSorg)

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के RSS के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर हुए विवाद के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ये बिना मतलब की बहस है. भागवत ने कहा कि संघ के लिए कोई भी बाहरी नहीं है ये सिर्फ हिंदुओं का संगठन नहीं है. प्रणब मुखर्जी के भाषण से ठीक पहले अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि कार्यक्रम के बाद मुखर्जी भी वही बने रहेंगे जो वो हैं, और संघ भी बना रहेगा जो वो है. भागवत ने कहा कि उनका संगठन पूरे समाज को एकजुट करना चाहता है और उसके लिए कोई भी बाहरी नहीं है.

ये परंपरा रही है कि हम तृतीय वर्ष वर्ग समारोह के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की प्रसिद्ध हस्तियों को बुलाते रहे हैं. हम केवल उसी परंपरा का पालन कर रहे हैं. इस समय हो रही बहस का कोई मतलब नहीं है.
मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख

भारत में जन्मा हर नागरिक भारतीय है: मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि लोगों के पास अलग-अलग विचार हो सकते हैं लेकिन वे सभी भारत माता के बच्चे हैं. एक ही मकसद के लिए अलग-अलग रास्ते अपनाने वाले लोगों को विविधता अपनाने का हक है.

संघ केवल पूरे समाज को संगठित करना चाहता है. हम सभी को अपनाते हैं, हम केवल समाज के एक धड़े के लिए नहीं हैं. आरएसएस विविधता में एकता पर विश्वास करता है. भारत में जन्मा हर नागरिक भारतीय है. मातृभूमि की पूजा करना उसका अधिकार है. हम भारतीय एक और संगठित हैं.
मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख

'सरकारें सबकुछ नहीं कर सकती'

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि देश का भाग्य सभी के मिलजुलकर काम करने से ही बदलता है, सिर्फ सरकारों से नहीं. सरकारें बहुत कुछ कर सकती हैं, पर सरकारें सबकुछ नहीं कर सकती हैं.

कई बार हममें मतभेद होते हैं लेकिन हम एक ही मिट्टी, भारत की संतान हैं. विविधता को स्वीकार किया जाना चाहिए, ये अच्छा है. हम सभी इस विविधता के बावजूद एक हैं. सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती, नागरिकों को भी योगदान देना होगा. इसके बाद ही देश में बदलाव हो सकता है.
मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख
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विचारों के विरोध की सीमा होनी चाहिए: भागवत

भागवत ने कहा, "सभी को राजनीतिक विचार रखने का अधिकार है लेकिन विचारों का विरोध करने की एक सीमा होनी चाहिए. हमें इस बात का अहसास होना चाहिए कि हम एक ही देश के बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं लेकिन कुछ समूह केवल बात करने से अधिक का मकसद रखते हैं." उन्होंने कहा कि हर एक को अपनी भूमिका तय करने की जरूरत है. केवल इससे ही देश में बदलाव आ सकता है. जब लोग अपनी आकांक्षाओं को किनारे रखने के लिए राजी होंगे तभी एक देश बेहतरी के लिए बदलेगा.

प्रणब मुखर्जी के अलावा भी आए थे खास मेहमान

आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल लोगों में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदार अर्द्धेन्दु बोस अपनी पत्नी और बेटे के साथ मौजूद थे. इससे पहले मुखर्जी आज यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक सरसंघचालक केशव बलिराम हेडगेवार की जन्मस्थली पर गये और उन्होंने उन्हें भारत माता का महान सपूत बताया.

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Published: 07 Jun 2018,10:24 PM IST

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