आरएसएस के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देशभक्ति, राष्ट्रीयता और विविधता का पाठ पढ़ाया. उन्होंने कहा कि भारत के संदर्भ में ये सारी बातें एक दूसरे से मिलती हैं जिन्हें अलग कर पाना मुमकिन नहीं है. प्रणब ने अपने भाषण में इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि देश विविधता में एकता को देखता है यही बात भारत को खास बनाती है.
प्रणब मुखर्जी के बाद कांग्रेस का प्रेस कॉन्फ्रेंस
प्रणब मुखर्जी के भाषण के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि प्रणब मुखर्जी पर चल रही तमाम अटकलें और बहस खत्म हो गईं हैं. पूर्व राष्ट्रपति ने भारत के गौरवशाली ऐतिहासिक परंपरा का पाठ संघ के मंच से संघ को पढ़ाया है. आरएसएस को आईना दिखाने की कोशिश की है. सुरजेवाला ने कहा कि भारत अलग-अलग धर्म, जाति, विचार, भाषा, खान-पान की आदतों के बावजूद एकजुट है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को भी प्रणब मुखर्जी ने याद दिलाया है कि शासक का कल्याण, देश के कल्याण में ही है.
राष्ट्र, राष्ट्रीयता और देशभक्ति पर विचार रखने आया हूं: प्रणब
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वो राष्ट्र, राष्ट्रीयता और देशभक्ति के बारे में अपने विचार रखने आए हैं. सारी बातें एक दूसरे से मिली हुई हैं और इन्हें अलग करना मुमकिन नहीं है. राष्ट्र, राष्ट्रीयता और देशभक्ति तीनों में बारीक फर्क है.
प्रणब मुखर्जी के भाषण की खास बातें
- मैं आपके साथ राष्ट्र, राष्ट्रीयता और देशभक्ति के बारे में अपने विचार रखने आया हूं
- सारी बातें एक दूसरे से मिली हुई हैं और इन्हें अलग करना मुमकिन नहीं है
- राष्ट्र, राष्ट्रीयता और देशभक्ति तीनों में बारीक फर्क है
- भारत के इतिहास के बारे में प्रणब ने कहा कि देश कारोबार का बड़ा केंद्र था. दुनियाभर से कई यात्री भारत आए. फाह्यान, मैगस्थीज आए
- सभी ने माना भारत शिक्षा और समृद्धि का केंद्र है. तक्षशिला, नालंदा के बारे में कौन नहीं जाता
- भारत की समृद्ध संस्कृति हजारों साल पुरानी है.
- भारतीय राष्ट्रीयता की उपज वसुदैव कुटुम्बकम से हुई, हम पूरी दुनिया को अपना परिवार मानते आए हैं
- हम सह-अस्तित्व की भावना रखते हैं. कई धर्म, कई भाषाएं मिलकर भारत बना है भारत
- विविधता हमारी खूबी है, इसमें असहिष्णुता, एकरूपता की कोई गुंजाइश नहीं है
भारत में कोई मत लादने की कोशिश हुई तो अशांति होगी: प्रणब मुखर्जी
- भारत में कोई भी मत लादने की कोशिश की गई तो उससे पूरे देश में अशांति होगी
- भारत एक समंदर है जिसमें हजारों नदियां मिली हुई हैं
- आधुनिक भारत के बारे में कई विद्वानों, राजनेताओं ने अपने अलग अलग विचार रखे हैं
- बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज मेरा अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा कहा था
- गांधीजी ने कहा था राष्ट्रीयता आक्रामक नहीं है, थोपना नहीं है, इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और सभी लोग शामिल हैं
- नेहरू ने कहा था कि राष्ट्रीयता में किसी एक धर्म या एक वर्ग का वर्चस्व नहीं है बल्कि सब लोग शामिल हैं
- सरदार पटेल ने राजा रजवाड़ों को मिलकर एक विशाल भारत राष्ट्र का मौजूदा स्वरूप तैयार किया
- 1950 में भारत संविधान लागू हुआ, हम संप्रभु राष्ट्र बने जिसमें सभी नागरिकों का समान अधिकार था
धर्मनिरपेक्षता हमारे भरोसे का प्रतीक है: प्रणब
- हमारे लिए लोकतंत्र सामाजिक बदलाव, आकांक्षाओं का प्रतीक है
- मैंने 50 साल के सार्वजनिक जीवन, सरकार में रहते हुए जो महसूस किया है वो बताता हूं
- धर्मनिरपेक्षता हमारे लिए विश्वास का प्रतीक है.
- पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक 1600 बोलियां बोलने वाले, 3 जातीय ग्रुप में रहने वाले सभी लोग एक संविधान के अंदर आते हैं
- हमें कोई दुश्मन नजर नहीं आता
- लोकतंत्र में सभी मुद्दों पर सबसे बातचीत जरूरी है. सार्वजनिक जीवन में हर विषय पर चर्चा जरूरी है भले कोई सहमत हो या नहीं
- अलग अलग नजरिया होना जरूरी है, अलग नजरिए का सम्मान होना चाहिए
- जब कभी भारत के ताने बाने को छेड़ा जा है उससे देश को नुकसान होता है
- सभी तरह की हिंसा बंद होना चाहिए, सब कुछ लोकतंत्र के हिसाब होना चाहिए
- गुस्सा, हिंसा की जगह शांति और अहिंसा होना चाहिए, अभी जो ट्रेंड दिख रहा है वो खतरनाक है
- खुश रहना नागरिकों का फंडामेंटल अधिकार है इस पर सबका हक है
- भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही इकनॉमी है, लेकिन हैप्पीनेस इंडेक्स में हमारी स्थिति बहुत खराब है
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के संबोधन की खास बातें
आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी को बुलाने को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि प्रणब मुखर्जी अलग हैं संघ अलग है. कोई नहीं बदलेगा. प्रणब मुखर्जी को कैसे और क्यों बुलाया गया इस पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है.
प्रणब मुखर्जी को बुलाने को लेकर विवाद सही नहीं: मोहन भागवत
- पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का इस कार्यक्रम में बहुत स्वागत
- नागपुर में हर साल ये कार्यक्रम होता है और हमारी परंपरा रही है कि देश के दिग्गजों को हम आमंत्रित करते हैं
- जिन दिग्गजों का आना संभव होता है वो यहां आते हैं, संघ का स्वरूप देखते हैं
- इस परंपरा के तरह ये कार्यक्रम सहजता से संपन्न हो रहा है, जो नियमित कार्यक्रम है
- इस बार के कार्यक्रम की कुछ ज्यादा ही चर्चा हो रही है, प्रणब मुखर्जी को सारा देश जानता है कि वो बेहद आदरणीय हैं
- प्रणब मुखर्जी जैसे आदरणीय को आमंत्रित किया गया
- उनको कैसे बुलाया, कैसे वो जा रहे हैं ये चर्चा निरर्थक है
संघ के लिए कोई पराया नहीं है: मोहन भागवत
- संघ सिर्फ हिंदुओं के लिए नहीं सबके लिए काम करता है. समाज को संगठित करना चाहता है, इसलिए हमारे लिए कोई पराया नहीं है
- विविधता में एकता ये हमारे देश की बरसों की परंपरा है
- संघ के लिए कोई भी भारतीय पराया नहीं है.
- भारत की धरती पर जन्मा हर व्यक्ति भारत पुत्र है,
- जैसे जैसे लोगों की समझ में आता है सभी लोग भारत की सेवा करते हैं
- हम सब भारत माता के पुत्र हैं. एक ही लक्ष्य के लिए अलग अलग रास्ते अपनाने वाले लोगों को विविधता अपनाने का हक है
- हम सब एक हैं इसका भी दर्शन समय समय पर होते रहना चाहिए,
- देश का भाग्य सबके मिल जुलकर काम करने से ही बदलता है, सिर्फ सरकारों से नहीं
- सरकारें बहुत कुछ कर सकती हैं, पर सरकारें सब कुछ नहीं कर सकती हैं.
सभी भारतवासियों के पूर्वज एक ही हैं: भागवत
- हेडगेवार जी कांग्रेस के कार्यकर्ता भी रहे, देश के लिए जेल भी गए, समाज सुधारकों के भी साथ रहे
- हम सब एक हैं, लेकिन किसी को समझ में नहीं आता. किसी को समझ में आने के बाद भी उल्टा ही चलते हैं.
- सब अपने हैं, दुश्मन कोई नहीं है, सबकी माता, भारत माता है.
- डीएनए भी यही कहता है. सबके रूप एक जैसा है. यही बात सब मान लें
- संघ सबको जोड़ने वाला संगठन हैं, क्योंकि संगठित समाज ही भाग्य परिवर्तन की पूंजी है
- संगठन में सौहार्द का व्यवहार अपेक्षित है. अंग्रेजी में इसे कहते हैं डेमोक्रेटिक माइंड
- समाज वातावरण से चलता है. तत्व की चर्चा करने जाएंगे तो विषयों को लेकर विद्वानों में अलग मत है
राष्ट्रीयता आक्रामक नहीं है, इसे थोपना नहीं है: प्रणब
- भारत में कोई भी मत लादने की कोशिश की गई तो उससे पूरे देश में अशांति होगी
- भारत एक समंदर है जिसमें हजारों नदियां मिली हुई हैं
- आधुनिक भारत के बारे में कई विद्वानों, राजनेताओं ने अपने अलग-अलग विचार रखे हैं
- बाल गंगाधर तिलक ने 'स्वराज मेरा अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा' कहा था
- गांधीजी ने कहा था राष्ट्रीयता आक्रामक नहीं है, थोपना नहीं है, इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और सभी लोग शामिल हैं
- नेहरू ने कहा था कि राष्ट्रीयता में किसी एक धर्म या एक वर्ग का वर्चस्व नहीं है बल्कि सब लोग शामिल हैं
- सरदार पटेल ने राजा रजवाड़ों को मिलाकर एक विशाल भारत राष्ट्र का मौजूदा स्वरूप तैयार किया
- 1950 में भारत संविधान लागू हुआ, हम संप्रभु राष्ट्र बने जिसमें सभी नागरिकों का समान अधिकार था
आरएसएस के कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी आरएसएस के कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं. यहां देखिए तस्वीरें