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दुनिया अभी कोरोना महामारी के साए से पूरी तरह निकली भी नहीं है कि एक और गंभीर वायरस मंकीपॉक्स (Monkeypox) ने यूरोप में दस्तक दे दी है. इस बीमारी से लोग फिर दहशत में हैं और इससे बचाव के लिए जरूरी सावधानियों की जानकारियां जुटा रहे हैं. इससे पहले 2021 में यूके (UK) और आयरलैंड (Ireland) में भी मंकीपॉक्सके मामले सामने आए थे.
भारत में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला नहीं देखा गया है, लेकिन सरकार इसे हल्के में नहीं ले रही है. सरकार ने मंकीपॉक्स संक्रमण को देखते हुए शुक्रवार, 20 मई से एयरपोर्ट्स पर निगरानी बढ़ा दी है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकारियों को अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों की पहचान करने टेस्ट के लिए उनके सैंपल जमा करने के लिए कहा गया है. फिलहाल उन्हीं लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं जिनमें मंकी पॉक्स से संबंधित लक्षण दिखाई दे रहा है. संदिग्ध मामलों के कुछ नमूनों को पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) को भेजने का निर्देश दिया गया है.
WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स चेचक वायरस की श्रेणी में आता है. हालांकि, यह चेचक से कम गंभीर होता है और इसके संक्रमण की संभावना भी कम है. मंकीपॉक्स एक जूनोसिस (zoonosis) है, यानी यह जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है.
यह आमतौर पर मध्य और पश्चिम अफ्रीका के जंगलों वाले इलाकों में पाया जाता है. इसके दो मुख्य स्ट्रेन हैं - पश्चिम अफ्रीकी और मध्य अफ्रीकी. यह शारीरिक तरल पदार्थ, त्वचा पर घावों या आंतरिक म्यूकोसल सतहों, जैसे मुंह या गले, श्वसन बूंदों और दूषित वस्तुओं के संपर्क में आने से फैलता है.
बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान मंकीपॉक्स के सामान्य लक्षण हैं. बुखार के बाद दाने अक्सर चेहरे से शुरू होकर शरीर के अन्य भागों में फैल सकते हैं.
मंकीपॉक्स आमतौर पर हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों में होता है. इससे होने वाले घाव में बहुत खुजली या दर्द हो सकता हैं और सूखने पर निशान भी छोड़ सकता है.
लक्षण आमतौर पर 14-21 दिनों के भीतर अपने आप ठीक हो जाते हैं. कम गंभीर मामले अक्सर रिपोर्ट भी नहीं होते हैं और लाइवमिंट के अनुसार व्यक्ति-से-व्यक्ति संचरण का जोखिम खाद्य करते हैं.
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