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Moradabad Namaz Row: सामूहिक नमाज पर FIR क्यों ली गई वापस?, ग्राउंड रिपोर्ट

Ground Report: मुरादाबाद में नमाज पर विवाद, क्या था मामला? पश्चिमी यूपी के एक छोटे से गांव में क्या है आशंका?

समर्थ ग्रोवर
भारत
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Moradabad Namaz Row: सामूहिक नमाज पर हुई FIR, फिर क्यों ली गई वापस?

(फोटो: रिभु चटर्जी/द क्विंट)

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुरादाबाद के एक छोटे से गांव दुल्हेपुर ने उस समय राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं, जब 24 अगस्त को सार्वजनिक रूप से सामूहिक नमाज़" अदा करने के लिए 26 लोगों के खिलाफ एक FIR दर्ज की गई थी.

हालांकि, 3 जून को शूट किए गए एक वीडियो में देखा जा सकता है कि मुस्लिम लोग वास्तव में किसी के निजी घर के चबूतरे पर नमाज अदा कर रहे थे, जहां भैंसों को बांधा गया था और एक कोने में गोबर के ढेर लगे हुए थे.

यह पहली बार नहीं है जब नमाज के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ है. ऐसा लगता है कि पहली बार किसी के निजी घर में नमाज पढ़ने से दिक्कत हुई है.

मुरादाबाद के एसएसपी हेमंत कुटियाल ने द क्विंट को बताया कि “एफआईआर का वीडियो से कोई लेना-देना नहीं था और इसे गलती से मीडिया द्वारा जोड़ा गया था.”

वीडियो को एफआईआर से जोड़ने के कारण समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा इस प्राथमिकी की निंदा की गई और सवाल किया गया कि घर में नमाज अदा करना गलत क्यों है. अन्य धर्मों की प्रार्थनाओं के साथ भी तुलना की गई.

30 अगस्त को पुलिस ने प्राथमिकी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्हें शिकायतकर्ता के दावों (सार्वजनिक रूप से नमाज अदा करने) के पर्याप्त सबूत नहीं मिले. चबूतरा दिखने में सार्वजनिक लगता है, मगर वह एक निजी संपत्ति है.

तो, मामला क्या था? एक छोटे से गांव में क्यों बढ़ रही है कड़वाहट? क्विंट ने दुल्हेपुर पहुंच कर मामले से जुड़े तमाम लोगों से बात की.

वायरल वीडियो - घटनाओं की समयरेखा

38 वर्षीय वाहिद अली प्राथमिकी में नामित लोगों में से एक थे. गांव के पूर्व प्रधान के बेटे अली गांव के एक सम्मानित व्यक्ति और उस घर के मालिक हैं जहां 3 जून को जुमे की नमाज अदा की गई थी.

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द क्विंट से बात करते हुए अली ने कहा,

“हम 80 के दशक से नमाज अदा कर रहे हैं. इससे पहले हमारे दादाजी प्रार्थना का नेतृत्व करते थे. मुझे नहीं पता कि उन्हें हमसे समस्या क्यों होने लगी. 3 जून को, स्टेशन अधिकारी (SO) छजलीत ने सुबह हमसे मुलाकात की, और हमें बताया कि हमारे खिलाफ शिकायत है कि हम एक नई प्रथा ला रहे हैं. हमने उनसे कहा कि हमारा किसी से कोई विवाद नहीं है, आप शिकायतकर्ताओं से पूछें. फिर दो-तीन युवक लाल दुपट्टे पहने हुए उठे और बोले कि वे हमें सामूहिक रूप से नमाज नहीं पढ़ने देंगे.”

“उस दिन बाद में, जब हमने दोपहर 1 बजे नमाज अदा की, तो हमारा वीडियो बनाया गया और वायरल कर दिया गया. एसओ फिर शाम 4 बजे आए और हमें बताया कि हम अपराध कर रहे हैं. फिर हमें एसडीएम से मिलने और अपना पक्ष बताने को कहा गया. अगले दिन दोनों पक्षों के लोगों ने एसडीएम से मुलाकात की. जब हम उनसे मिलने गए तो उनके साथ सीओ मैडम सलोनी अग्रवाल थीं. उन्होंने तुरंत हमें आदेश दिया कि सामूहिक नमाज़ की अनुमति नहीं दी जाएगी.”

यह पूछे जाने पर कि क्या वे कुछ नया कर रहे हैं, अली ने इनकार किया

“हम सदियों से ऐसा करते आ रहे हैं. हालांकि, उन्होंने हमसे बहस नहीं करने के लिए कहा. हमने उनसे कहा कि हम उनके निर्देशों का पालन करेंगे. एसओ ने हमसे कहा कि हमें या तो समझौता कर लेना चाहिए या फिर नमाज नहीं पढ़नी चाहिए. हम पर मामला दर्ज होने का डर था इसलिए हम रुक गए. जब हम वापस पहुंचे तो हमने दूसरे पक्ष से इस पर चर्चा करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हमसे बात नहीं की.

अली ने द क्विंट को बताया कि पुलिस की मौजूदगी में दोनों पक्षों से जमानत ली गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सांप्रदायिक सौहार्द खराब न हो. उन्हें यह भी बताया गया कि न्याय किया जाएगा और उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है.

हालांकि, गांव में हुए अस्थायी समझौते के करीब दो महीने बाद, वीडियो वायरल होने पर शिकायत को एफआईआर में बदल दिया गया.

अली ने कहा, '26 अगस्त को दैनिक जागरण अखबार के जरिए हमें पता चला कि हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. हम एसओ के पास पहुंचे. हमने उन्हें बताया कि वीडियो 3 जून का है न कि 24 अगस्त का. पुलिस अधिकारी जून से हमारे घर के बाहर मौजूद हैं, तो हम नमाज़ कैसे पढ़ सकते थे?”

हिन्दू निवासियों की आशंका

क्विंट ने स्थानीय हिन्दू निवासियों से उनकी आपत्ति को लेकर भी बात की.

45 वर्षीय किसान ओमराज सिंह हरी कहते हैं-

"यहां सब शांति से चल रह था. फिर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बैठक पर नमाज पढ़ना शुरू कर दी. उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने कहा 'हमें कोई नहीं रोक सकता.' अगर कोई दूसरे धर्म का इस तरह से नई प्रथा शुरू करेगा तो गांव में विवाद बढ़ेगा जो कोई नहीं चाहता. इसीलिए इनके खिलाफ FIR की गई."

हालांकि, अब FIR खत्म कर दी गई है और नमाज रुकी हुई है. लेकिन एक सवाल बाकी रहता है. क्यों उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में एक समुदाय के अन्दर 'अलग' बना दिए जाने का डर बढ़ रहा है?

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