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यूपी के मुरादाबाद (Moradabad) में एक निजी गोदाम में तरावीह की नमाज पढ़ने को लेकर 25 मार्च को विवाद हो गया था. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 26 मार्च को गोदाम के मालिक जाकिर हुसैन सहित 10 लोगों को नोटिस थमा दिया था. लेकिन, पुलिस की कार्रवाई को लेकर लगातार सवाल उठ रहा था. अब इस मामले में SSP का कहना है कि विवाद तरावीह की नमाज पढ़ने को लेकर नहीं था, बल्कि संपत्ति को लेकर हुआ था.
SSP हेमराज मीणा ने कहा कि किसी को भी दूसरों की धार्मिक गतिविधि पर आपत्ति नहीं उठानी चाहिए. जो शांति भंग करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अनस तनवीर ने कहा, "तरावीह वो नमाज है जो रमजान में करीब 100 साल से पढ़ी जा रही है. नमाजी सामूहिक तौर पर इसे एक साथ इकट्ठा होकर अपने सुविधा के अनुसार कहीं भी पढ़ते हैं. ये कोई नई प्रथा नहीं है." उन्होंने कहा कि पुलिस के पास पॉवर होती है कि वो शांति भंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, लेकिन ये देखना होता है कि कार्रवाई किसके खिलाफ हो रही है.
दरअसल, मुरादाबाद के लाजपत नगर में जाकिर आयरन स्टोर के मालिक जाकिर हुसैन के गोदाम में 25 मार्च को 25 से 30 लोगों के साथ तरावीह की नमाज पढ़ने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसका बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया.
बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नई परंपरा शुरू करने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया. इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने उस वक्त की नमाज को संपन्न कराया और फिर वहां नमाज न पढ़कर मुस्लिम पक्ष को चिन्हित धार्मिक स्थलों या अपने-अपने घरों पर नमाज पढ़ने का निर्देश दिया.
इतना हीं नहीं, बजरंग दल ने चेतावनी दी है कि अगर नमाज पढ़ रहे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होता है तो वो आंदोलन करेंगे. पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए गोदाम के मालिक जाकिर हुसैन सहित 10 लोगों को CrPC की धारा 107/116 के तहत नोटिस दिया है.
इस मामले में गोदाम के मालिक ने थाने में लिखित में समझौता नामा दिया है, जिसमें कहा गया है कि आगे से गोदाम के अंदर तरावीह की नमाज नहीं पढ़ी जाएगी.
इससे पहले मुरादाबाद के दुल्हेपुर में 24 अगस्त को सामूहिक नमाज अदा करने के लिए 26 लोगों के खिलाफ एक FIR दर्ज की गई थी. हालांकि, 30 अगस्त को पुलिस ने FIR को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उन्हें शिकायतकर्ता के दावों (सार्वजनिक रूप से नमाज अदा करने) के पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे. पुलिस ने कहा था कि जहां नमाज हो रही थी, वो चबूतरा दिखने में सार्वजनिक लगता है, मगर वह एक निजी संपत्ति है.
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