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पाउच छोड़िए, टोकन मिल्क लीजिए, मदर डेयरी पर 4 Rs प्रति लीटर की छूट

मदर डेयरी ने टोकन से दूध बिक्री का काम साल 1974 से शुरू किया था

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मदर डेयरी ने टोकन से दूध बिक्री का काम साल 1974 से शुरू किया था
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मदर डेयरी ने टोकन से दूध बिक्री का काम साल 1974 से शुरू किया था
(फोटोः Twitter)

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प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने के उद्देश्य से देश की प्रमुख मिल्क कंपनी 'मदर डेयरी' अपने ग्राहकों के लिए खास डिस्काउंट ऑफर लेकर आई है. प्लास्टिक की थैली वाला दूध इस्तेमाल करने के बजाय 'टोकन मशीन' से दूध खरीदने पर मदर डेयरी चार रुपये प्रति लीटर की छूट दे रही है.

मदर डेयरी ने साल 2020 तक 25 राज्यों से 830 टन प्लास्टिक इकट्ठा करने और उसको रीसाइकिल करने का संकल्प किया है.

मदर डेयरी के मैनेजिंग डायरेक्टर संग्राम चौधरी ने कहा-

<i>‘हम टोकन मिल्क की बिक्री को बढ़ावा दे रहे हैं और इसके लिए प्रति लीटर चार रुपये की छूट भी दे रहे हैं. ताकि ग्राहकों में टोकन से दूध खरीदने का प्रचलन बढ़े. हम दिल्ली-एनसीआर में ‘होम डिलिवरी’ मॉडल पर भी काम शुरू कर रहे हैं.’</i>

कंपनी पर 140 करोड़ रुपये का पड़ेगा बोझ

मदर डेयरी के मैनेजिंग डायरेक्टर संग्राम चौधरी ने कहा, कंपनी किसानों से 44-45 रुपये लीटर के भाव से दूध खरीदती है और प्लास्टिक के इस्तेमाल को खत्म करने के मकसद से टोकन मिल्क के जरिए दूध की बिक्री 40 रुपये लीटर के भाव से कर रही है. मदर डेयरी की सालाना दूध उत्पादन क्षमता 10 लाख टन है. इस तरह ग्राहकों को छूट देने से कंपनी पर सालाना 140 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.

मदर डेयरी ने टोकन से दूध बिक्री का काम साल 1974 से शुरू किया था. अब तक करीब 40 हजार टन प्लास्टिक इस्तेमाल रोका जा चुका है. दिल्ली-एनसीआर में हर दिन हर घर में पैकबंद दूध की बिक्री के जरिए छह ग्राम प्लास्टिक पहुंचता है जो साल में लगभग 2.30 किलो प्रति घर बैठता है.
संग्राम चौधरी, मैनेजिंग डायरेक्टर, मदर डेयरी

पीएम मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से देशवासियों को सिंगल यूज प्लास्टिक के सामानों का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की है. सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब हुआ- ‘ऐसी प्लास्टिक जो रिसाइकिल नहीं हो सकती, जो सिर्फ इस्तेमाल के बाद कचरे में फेंक दी जाती है.’

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