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सिंगल यूज प्लास्टिक घटाने के लिए फ्लेक्स समेत इन चीजों पर रोक लगे

प्लास्टिक सेहत के लिए बड़ी हानिकारक है, फ्लैक्स समेत इन सामानों पर भी लगे बैन

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भारत
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सड़कों पर बैनर पर बैन लगने के अलावा भी इसे कई रूपों में रोजाना इस्तेमाल में लाया जाता है.
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सड़कों पर बैनर पर बैन लगने के अलावा भी इसे कई रूपों में रोजाना इस्तेमाल में लाया जाता है.
(फोटो: iStock)

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पर्यावरण के दृष्टिकोण से प्लास्टिक काफी नुकसानदेह है. इसकी गंभीरता को समझते हुए केंद्र सरकार 2 अक्टूबर से पूरे देश में प्लास्टिक के खिलाफ एक नए जन-आंदोलन की नींव रखने की तैयारी कर रही है. वहीं बायोकॉन की चेयरपर्सन और एमडी किरण मजूमदार शॉ ने प्रधानमंत्री मोदी से सड़कों पर विज्ञापन के लिए पोस्टर (बैनर) पर भी बैन लगाने का अनुरोध किया है.

सड़कों पर राजनीतिक दलों और अन्य प्रतिष्ठानों की ओर से प्रचार प्रसार के लिए बड़ी संख्या में प्लास्टिक से बने फ्लैक्स (बैनर) इस्तेमाल किए जाते हैं. आइए जानते हैं कि फ्लैक्स के अलावा और प्लास्टिक से बनी कौन सी चीजें हैं, जो बैन होनी चाहिए.

सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब हुआ- ‘ऐसी प्लास्टिक जो रिसाइकिल नहीं हो सकती, जो सिर्फ इस्तेमाल के बाद कचरे में फेंक दी जाती है.’
  • दूध की थैलियां
  • कैरी बैग
  • मीटिंग और घर में पानी की बोतल
  • जूस या नारियल पानी पीने के काम आने वाले स्ट्रॉ
  • सॉस या कैचप के मिनी पैकेट
  • चिप्स-बिस्किट के पैकेट
  • प्लास्टिक के गिलास
  • कटलरी और वैट वाइप (गीले रूमाल)
  • सफर के दौरान अचार और जैम के पैकेट
  • फूड पैकेजिंग
  • घर, ऑफिस और स्कूलों में फाइलें

बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ ने ट्विटर पर लिखा, "पीएम मोदी जी, देशभर में प्लास्टिक बैन करने के अपने अभियान के तहत बैनरों पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. इनसे भी प्रदूषण फैलता है."

(ट्वीट स्क्रीनशॉट)

किरण मजूमदार शॉ के इस ट्वीट पर सैकड़ों लोगों ने कमेंट और शेयर किया. शॉ की बात से सहमति जताते हुए एक यूजर ने लिखा, "विशेष रूप से कॉमर्शियल और पॉलिटिकल अवैध बैनरों पर रोक लगनी चाहिए."

अगर 10 टन कचरे से भरे ट्रक की कल्पना करें तो देश में हर साल 66 हजार ट्रकों के बराबर कचरा निकल रहा है(ग्राफिक्स: क्विंट हिंदी)

आखिर कैसे लगेगी बोतलबंद प्लास्टिक पर रोक?

पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के अलावा माइक्रो प्लास्टिक, जो हमारे शरीर में जा रहा है वह भी सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होता है. सोडा की बोतल हो या खाने पीने के बर्तन कई हानिकारक तत्व प्लास्टिक से चिपक कर हमारे शरीर में जाते हैं. बोतलबंद पानी (100 मिली, 500 मिली, 1 लीटर, 20 लीटर) सरकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर घरों में बड़ी संख्या में इस्तेमाल होता है.

जो सरकार प्लास्टिक पर पूरी तरह बैन लगाने की बात कर रही है, उसी सरकार के अधिकारी मीटिंग या प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोतलबंद पानी इस्तेमाल करते नजर आ जाते हैं. हाल ही में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में एक कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री अमित शाह के साथ टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली, बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा को प्लास्टिक की बोतल में पानी का इस्तेमाल करते देखा गया.

'जागरुकता भी बढ़ रही है..'

हालांकि, प्लास्टिक के कम से कम इस्तेमाल पर लोगों की जागरुकता धीरे-धीरे बढ़ रही है. हाल ही में महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी में अब मीटिंग के दौरान प्लास्टिक बोतल की जगह स्टील की बोतल का इस्तेमाल किया जा रहा है. आनंद महिंद्रा ने अपनी टीम को धन्यवाद बोलते हुए बोतल की तस्वीर भी ट्वीट की.

(ट्वीट स्क्रीनशॉट)
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'सुर्खियां बटोरने के लिए लगाया जा रहा है सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन'

इस बीच पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के लिए मोदी सरकार की आलोचना भी की है. उन्होंने प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध का विरोध करते हुए कहा कि ये बैन सिर्फ सुर्खियां बटोरने और शासन के पर्यावरण संबंधी वास्तविक रिकॉर्ड को छिपाने के लिए है. क्योंकि इस उद्योग से लाखों लोगों का रोजगार जुड़ा है.

उन्होंने दावा किया कि क्योंकि अर्थव्यवस्था पहले से मंदी के दौर से गुजर रही है, इसलिए प्लास्टिक पर पूरी तरह बैन लगाना अच्छा विचार नहीं है. उन्होंने ये भी कहा, असल समस्या ये है कि हम प्लास्टिक के कचरे का किस तरह निस्तारण और पुर्नचक्रण करते हैं.

(ट्वीट स्क्रीनशॉट)

प्लास्टिक की बोतलों का दुनियाभर में किस कदर इस्तेमाल हो रहा है, ट्विटर पर एक शख्स ने इसका वीडियो शेयर किया है.

‘प्लास्टिक बोतल, गिलास छोड़ो, चुल्लू बनाकर पानी पीयो’

वहीं, बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने के लिए हाथ से चुल्लू बनाकर पानी पीने और दांतों को साफ करने के लिए ‘दातुन’ या नीम की टहनी का इस्तेमाल करने की पुरानी भारतीय आदतों की ओर लौटने का सुझाव दिया है. हाल ही में लेखी ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत ने ऐसी चीजों को अपनाकर काफी ऊर्जा और संसाधन बर्बाद किए हैं जो हमारी नहीं हैं.

उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध पर देश की तैयारी के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा-

‘‘हमें गिलासों और बोतलों की जरूरत क्यों है? हम जब स्कूल में थे तो अपने हाथों से पानी पीते थे, जो मुझे लगता है कि सबसे ज्यादा स्वच्छ तरीका है क्योंकि इस प्रक्रिया में आप अपने हाथ धोते हो और गिलास को साफ करने में पानी बर्बाद भी नहीं होता.’’

बता दें, साल 2022 तक देश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से बैन लगाने के उद्देश्य से पीएम मोदी दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर कुछ सामानों पर प्रतिबंध का ऐलान कर सकते हैं. मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में लोगों से प्लास्टिक के थैलों के इस्तेमाल से बचने और उद्यमियों से प्लास्टिक के पुन: इस्तेमाल के नए तरीकों को खोजने का अनुरोध किया था.

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Published: 13 Sep 2019,10:41 PM IST

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