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मध्य प्रदेश में मेडिकल की परीक्षाओं के दौरान करीब 40 हजार छात्रों के लिए भाषा अब कोई बंदिश नहीं रह गई है. सूबे में हिंदी में एग्जाम देकर भी MBBS और दूसरी डिग्री हासिल की जा सकती है. ये नियम मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में इसी साल से लागू हो चुकी है. फैसले के बाद MBBS के अलावा नर्सिंग, डेंटल, यूनानी, योग, नेचुरोपैथी और दूसरे मेडिकल ब्रांच के सिलेबस की परीक्षाएं हिंदी में दिए जाने का सिलसिला शुरू हुआ है.
जबलपुर स्थित इस यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ रविशंकर शर्मा ने बताया, "परीक्षाओं के दौरान हमारे लिए ये जांचना जरूरी होता है कि किसी छात्र को विषय की जानकारी है या नहीं. इस सिलसिले में भाषा की कोई बाधा नहीं होनी चाहिए. यही सोचकर हमने अपने सभी पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं में अंग्रेजी के ऑप्शन के रूप में हिंदी या अंग्रेजी मिश्रित हिंदी के इस्तेमाल को मंजूरी देने का फैसला किया है."
कुलपति डॉ रविशंकर शर्मा ने बताया कि इस साल सूबे के 10 मेडिकल कॉलेज के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब MBBS के छात्रों को हिंदी या अंग्रेजी 'मिक्स' हिंदी में परीक्षा देने की आजादी मिली. इस बार MBBS पहले साल के कुल 1,228 में से 380 छात्रों ने यानी करीब 31 फीसदी उम्मीदवारों ने हिंदी या अंग्रेजी मिक्स हिंदी में परीक्षा दी है.
उन्होंने ये भी बताया कि मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के करीब 40,000 छात्र केवल थ्योरी एग्जाम ही नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल और थ्योरी एग्जाम (वाइवा) में भी हिंदी या अंग्रेजी मिक्स हिंदी का इस्तेमाल कर सकते हैं. बहरहाल, मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में पढ़ाई की डगर छात्रों के लिये उतनी आसान भी नहीं है. खासकर एमबीबीएस के लिए हिंदी की क्वालिटी वाली किताबों की कमी है.
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