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MP: सिंगरौली की हवा में घुला जहर, जनता बीमार, दमघोंटू शहर की 10 तस्वीरें

Singrauli Pollution: ब्लैक स्मिथ ने सिंगरौली को दुनिया के 10 सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों में शुमार किया है.

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<div class="paragraphs"><p>MP: सिंगरौली में प्रदूषण की मार से जनता हो रही बीमार, दमघोंटू शहर की 10 तस्वीरें</p></div>
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MP: सिंगरौली में प्रदूषण की मार से जनता हो रही बीमार, दमघोंटू शहर की 10 तस्वीरें

(फोटो: क्विंट)

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देश में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सिंगरौली (Singrauli) की पहचान बिजली और कोयला उत्पादक जिले के रूप में है. लेकिन अब इस पहचान पर प्रदूषण का धब्बा लग गया है. सिंगरौली देश के सबसे प्रदूषित जिलों की सूची में शामिल है. NGT की रिपोर्ट के मुताबिक यहां की जमीन भी दूषित हो चुकी है. मिट्‌टी की जांच में पारे की मात्रा अधिक मिली है. आलम ये है कि प्रदूषण की वजह से लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही है.

ऋषि श्रृंगी मुनि की तपोभूमि सिंगरौली प्रदेश का वह जिला है जहां देश मे सबसे अधिक मात्रा में बिजली और कोयले का उत्पादन किया जाता है. 'काले हीरे'- कोयले के साथ यहां की जमीन सोना भी उगलती है यानी यहां सोने का उत्पादन भी किया जा रहा है. प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व भी इसी जिले से मिलता है, लेकिन विडंबना यह है कि यहां के लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.

(फोटो: क्विंट)

विश्व भर के प्रदूषित क्षेत्रों का डाटा तैयार करने वाली अमेरिका की संस्था ब्लैक स्मिथ ने सिंगरौली को दुनिया के 10 सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों में शुमार किया, वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण एजेंसी ने भी इसे देश के 22 अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों की सूची में रखा है.

(फोटो: क्विंट)

धरती के छह सर्वाधिक प्रदूषण चिंताओं में शुमार पारा यहां की हवाओं में घुल गया है और घुल रहा है. इसके लिए भी उड़न राख को जिम्मेदार बताया गया है.

(फोटो: क्विंट)

सिंगरौली के लोग कोयला खाते हैं, पीते हैं और इसी में जीते हैं. इसकी वजह से यहां के लोग कई गंभीर बीमारियों की चपेट में हैं. मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां जिंदगी की मुश्किलें बढ़ाती जा रही हैं. लेकिन दमघोंटू हवा इस शहर के लोगों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है.

(फोटो: क्विंट)

सिंगरौली की सड़कों पर आपको हमेशा धुंध जैसी दिखाई देगी. आंखों में जलन और शाम जल्दी ढल जाती है. पेड़ों के पत्ते काले दिखते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक इस राख से उनकी जिंदगी तो काली हुई ही है, बागों में फल आना कम आना और फसल उत्पादन तक गिर गया है.

(फोटो: क्विंट)

NGT की रिपोर्ट के मुताबिक सिंगरौली की जमीन भी दूषित हो चुकी है. मिट्‌टी की जांच में पारे की मात्रा अधिक मिली है. यहां प्रति किलो मिट्‌टी में 10.009 मिलीग्राम पारा मिला है, जबकि मानक 6.6 है. खाद्यान्न के सैंपल की जांच में भी इसकी पुष्टि हो चुकी है. इसी जमीन से पैदा होने वाली सब्जियां और अनाज खाकर लोग बीमारियों की चपेट में रहे हैं.

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सिंगरौली जोन में 11 थर्मल पावर प्लांट, 16 कोल माइन्स, 10 केमिकल कारखाने, 8 एक्सप्लोसिव, 309 क्रशर प्लांट और स्टील, सीमेंट और एल्युमिनियम के एक-एक उद्योग हैं.

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बैढ़न ब्लॉक के विंध्यनगर, नवजीवन विहार, देवसर ब्लॉक के कुर्सा और सरौंधा गांव और चितरंगी ब्लॉक के कोरसर, बर्दी व तमई गांव में टीबी के मरीज सबसे अधिक हैं. करीब 10 हजार की आबादी पर यहां हर साल 40 से 50 लोगों की मौत हो रही है. जबकि देश में 2020 में हर एक लाख लोगों पर 32 मौतें हुई हैं.

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सिंगरौली में ऐसे 12 रोड और चौराहे हैं, जहां पूरे समय धूल और धुएं से कोहरा छाया रहता है. यहां कई बार एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 900-1200 तक चला जाता है. जो मानक स्तर से 20 से 25 गुना ज्यादा है.

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स्थानीय लोगों का आरोप है कि कोल माइंस कंपनियां मानकों को दरकिनार कर अनियंत्रित हैवी ब्लास्टिंग करती हैं. तेज धमाके की गूंज से इलाके के घरों में भारी दरारें आ गईं हैं. इससे पहले भी कई मकान गिर चुके हैं.

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