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मुकेश अंबानी धमकी केस:कौन है सचिन वझे?जिनके नाम पर मचा सियासी बवाल

फडणवीस का आरोप है कि मनसुख और सचिन वझे के बीच जून और जुलाई 2020 में फोन पर बातचीत हुई थी.

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(फोटो: क्विंट)
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उद्योगपति मुकेश अंबानी को मिली धमकी का मामला आए दिन पेंचीदा होता जा रहा है. एंटीलिया के घर के बाहर मिली विस्फोटक से भरी कार के मालिक मनसुख हिरेन की मौत के बाद ये मामला और भी गहरा गया है. अब मामले से जुड़े जांच अधिकारी सचिन वझे भी सवालों के घेरे में है.

मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी सचिन वझे का नाम तब सामने आया, जब महाराष्ट्र के विधानसभा में सरकार और विपक्ष इस नाम को लेकर आपस में भीड़ गए. विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस ने मनसुख की मौत के खबर से कुछ ही घंटे पहले जांच अधिकारी सचिन वझे पर कई गंभीर सवाल उठाए.

फडणवीस का आरोप है कि मनसुख और सचिन वझे के बीच जून और जुलाई 2020 में फोन पर बातचीत हुई थी. साथ ही अंबानी के घर के बाहर मिली स्कॉर्पियो गाड़ी की खबर मिलने के बाद, सचिन वझे सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचने का दावा करने वालों में से एक हैं.

जिसके बाद गृह मंत्री अनिल देशमुख ने विपक्ष को छेड़ते हुए सवाल किया कि क्या सचिन वझे ने अर्णब गोस्वामी को हिरासत में लिया था, इसीलिए उन्हें वझे से आपत्ति है. कुछ ही दिनों पहले सचिन वझे को अचानक इस जांच से हटाने पर भी विपक्ष ने सवाल खड़े किए.

कौन है सचिन वझे ?

बता दे कि सचिन वझे और विवाद ये समीकरण नया नही है. नब्बे की दशक में मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में से एक सचिन वझे सुर्खियों में रहते हैं. अंधेरी क्राइम इंटेलीजेंट यूनिट के प्रमुख रहे प्रदीप शर्मा के नेतृत्व में सचिन वझे काम कर चुके हैं. अब तक साठ से ज्यादा आरोपियों का एनकाउंटर करने का रिकॉर्ड वझे के नाम पर दर्ज है. जिसमें अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन गैंग के कई गुर्गों का नाम शामिल है.

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले से आनेवाले सचिन वझे 1990 बैच के अधिकारी हैं. उन्हें गडचिरौली के नक्सलग्रस्त जिले में पहली पोस्टिंग मिली थी. जिसके बाद उन्हें 1992 में ठाणे पुलिस में ट्रांसफर मिली. जहां कुछ बड़े केसों सुलझाने की वजह से वो चर्चा में आए. जल्द ही उन्हें ठाणे क्राइम ब्रांच के स्पेशल स्क्वाड का हिस्सा बनाया गया.

1997 एंटी एक्सटॉर्शन सेल के स्पेशल स्क्वॉड में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर उनका करियर आगे बढ़ा.

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सस्पेंशन और बहाली

2 दिसंबर 2002 में हुए घाटकोपर बॉम्ब ब्लास्ट मामले के संदिग्ध ख्वाजा यूनिस के मौत मामले में 14 लोगों पर केस दर्ज हुआ था. जिसमें सचिन वझे का नाम भी शामिल था. बाद में सचिन वझे को इस मामले में निलंबित कर दिया. इस बात से नाराज वझे ने 2007 में पुलिस सर्विस से इस्तीफा दे दिया. लेकिन मामला शुरू होने की वजह से इस्तीफा मंजूर नही किया गया. 2008 की दशहरा रैली में वझे ने शिवसेना पार्टी जॉइन कर ली. लेकिन उद्धव ठाकरे की सरकार आने पर कोविड महामारी के चलते जून 2020 में वझे को पुलिस फोर्स में बहाली हो गई.

टेक्नो सेवी हैं वझे

सचिन वझेटेक्नो सेवी अफसर माने जाते हैं. साइबर क्राइम के कई मामले सुलझाने में वझे ने अहम भूमिका निभाई है. मुंबई पुलिस के लिए सेलफोन इंंटरसेप्शन यूनिट और ईमेल ट्रैकिंग सिस्टम शुरू करने में वझे की अहम भूमिका बताई जाती है.

साथ ही 1997 में अंतराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड फ्रॉड को उजागर करने वाले सचिन वझे एशिया के पहले अफसर माने जाते हैं. उन्होंने एक मोबाईल एप भी विकसित किया था. साथ ही 2010 में फेसबुक की तर्ज पर पहला मराठी पोर्टल भी शुरू करने का काम वझे ने किया है.

किताबें और फिल्म

26/11 में हुए आतंकवादी हमले पर सचिन वझे ने एक मराठी किताब लिखी है. इसके अलावा शीना बोरा हत्या मामला और डेविड हेडली पर भी किताबें लिखी है. इतना ही नहीं बल्कि सचिन वाझे पर आधारित 'रेगे' नाम की मराठी फिल्म भी आ चुकी है.

ठाकरे सरकार में मुंबई क्राइम ब्रांच यूनिट जॉइन करने वाले सचिन वझे ने आते ही हाई प्रोफाइल केसों से शुरुआत की. अर्णब गोस्वामी से जुड़े अन्वय नाइक आत्महत्या मामला और TRP घोटाले की जांच वझे की देखरेख में हो रही है.

अर्णब को तड़के सुबह घर से हिरासत में लेनेवाले अधिकारी सचिन वझे ही है. कार डिजाइनर दिलीप छाबरिया को गिरफ्तार भी वझे की टीम ने किया है. इसके बावजूद अंबानी को मिली धमकी का मामला वझे को सौंपा गया था.

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Published: 09 Mar 2021,12:04 PM IST

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