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समाजवादी पार्टी के दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान दिए जाने को लेकर प्रदेश में राजनीति गर्म हो गई है. जहां समाजवादी पार्टी नेताओं ने अपने दिवंगत नेता के लिए भारत रत्न की मांग की है वहीं दूसरी तरफ सरकार के इस फैसले को बदलते राजनीतिक समीकरण से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने कार सेवकों पर गोली चलवाने वाले आरोपों के साथ मुलायम सिंह यादव पर सीधा निशाना साधा था. मुलायम सिंह यादव को "मुल्ला मुलायम" की उपाधि देने वाली बीजेपी ने अचानक उन को पद्म विभूषण सम्मान से क्यों नवाजा है?
इसको लेकर कई प्रकार के कयास लगाए जा रहे हैं. इसमें एक है यादव वोट बैंक. जानकारों की मानें तो पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी को यादवों के वोट मिले हैं. इस बात की पुष्टि हाल ही में हुए 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी होती है. यादव लैंड के जिले मैनपुरी, इटावा एटा, कासगंज, फिरोजाबाद, औरैया, कन्नौज और फर्रुखाबाद की 29 सीटों पर भाजपा ने 18 सीटों पर परचम लहराया.
लेकिन हाल ही में शिवपाल यादव के समाजवादी पार्टी में आ जाने के बाद यादव वोट बैंक एक बार फिर अखिलेश यादव के साथ एकजुट हो सकता है. ऐसे में बीजेपी मुलायम सिंह यादव को सम्मानित करके यादवों को यह संदेश देना चाहती है कि उन्होंने मुलायम सिंह यादव को कार सेवकों पर गोली चलाने वाले आरोपों से मुक्त कर दिया है.
इस मुद्दे पर बातचीत करते हुए लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार रतन मणिलाल ने क्विंट हिंदी से कहा
बीजेपी के वोटरों का एक बड़ा तबका मुलायम सिंह यादव को हिंदू कारसेवकों पर गोली चलाने का आरोपी मानता है. ऐसे में मुलायम को सरकार की तरफ से सम्मान मिलने से क्या यह तबका बीजेपी से नाराज हो जाएगा और क्या इससे आने वाले समय में कोई राजनीतिक हानि हो सकती है पार्टी को? इस सवाल के जवाब में उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रतन मणिलाल कहते हैं कि बीजेपी जानती है कि अगर कोई तबका नाराज भी होता है तो पार्टी से टूटकर कहीं जाएगा नहीं.
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि जिस मुलायम सिंह यादव को विलेन बना कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में बीजेपी फली फूली उसी मुलायम को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाना नए परिवेश की राजनीति का हिस्सा है. मंदिर राजनीति को भुना चुकी बीजेपी जातीय समीकरण के फायदों से लगातार जीत का स्वाद चख रही है. ऐसे में यादव वोट बैंक उनके लिए उस अभेद्द किले की तरह रहा है जहां पर उन्होंने सेंध मारने की कोशिश तो की लेकिन अभी तक बड़ी सफलता नहीं मिली है. उत्तर प्रदेश में यादवों के सबसे बड़े नेता को मरणोपरांत सम्मानित कर बीजेपी यादव वोट बैंक में भले ही सेंध ना लगा पाए लेकिन अपनी ओर खींचने का प्रयास जरूर किया है.
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