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मुंबई (Mumbai) में करीब 2000 लोग फेक कोरोना वैक्सीन कैंप के जाल में फंस गए. अब तक पुलिस ने इस मामले में 7 एफआइआर दर्ज की हैं और 10 लोगों को पकड़ा है. गिरफ्तार लोगों में वो महिला भी शामिल है जिसने कोविन अकाउंट का यूजरनेम और पासवर्ड शेयर किया ताकि इन लोगों के फर्जी वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जारी किए जा सकें.
जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस विश्वास नागरे पाटिल ने कहा- 'गलत तरीके से जो 12.4 लाख रुपये इकट्ठे किए गए थे, उन्हें रिकवर कर लिया गया है. मामले में मुख्य आरोपी मनीष त्रिपाठी, महेंद्र सिंह के बैंक अकाउंट सीज कर दिए गए हैं.'
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस सूत्रों का कहना है कि- कोविशील्ड वैक्सीन के कुछ वाइल्स जो पीड़ितों को दी गईं उन्हें गुजरात से मंगाया गया था. लेकिन अब तक साफ नहीं है कि उन शीशियों में क्या था.
बता दें कि बीते हफ्ते कोरोना वैक्सीन घोटाला सामने आया जिसमें मुंबई के कांदिवली इलाके की एक सोसाइटी ने शिकायत की थी. हीरानंदानी हेरिटेज रेसिडेंट वेलफेयर असोशिएशन (HHRWA) का कहना कि उनसे कुछ लोगों ने संपर्क कर बताया कि वो प्राइवेट हॉस्पिटल से हैं और वो नागरिकों के लिए वैक्सीनेशन कैम्प का आयोजन कर रहे हैं.
वहां रहने वाली एक महिला नेहा अलसी ने बताया कि- "हमें डाउट था कि वो हमें कोविशील्ड वैक्सीन दे रहे हैं या फिर ग्लूकोज दे रहे हैं या फिर वे हमें वेस्ट हो चुकी वैक्सीन दे रहे हैं."
फिल्म प्रोड्यूसर रमेश तौरानी ने इसी तरह की शिकायत की. उन्होंने बताया कि उन्होंने 30 मई को अपने 365 कर्मचारियों के लिए वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन कराया, लेकिन किसी को भी वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट नहीं मिल सका.
मुंबई पुलिस का कहना है कि पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया आरोपी महेंद्र सिंह इस पूरे घोटाल में मास्टरमाइंड है. वहीं संजय गुप्ता नाम के शख्स ने फेक वैक्सीनेशन कैंप तैयार करने में मदद की.
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