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मुंबई मॉडल के आधार पर कोरोना की दूसरी लहर से निपटेगा बेंगलुरु

बेंगलुरु के सभी 198 वार्डों में मुंबई की तर्ज पर WDC समितियों का गठन किया जाएगा

आईएएनएस
भारत
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<div class="paragraphs"><p>कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी</p></div>
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कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी

(फोटो: PTI)

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कर्नाटक प्रशासन ने कोविड प्रबंधन के लिए मुंबई मॉडल के आधार पर बेंगलुरू में डिसेंट्रलाइज ट्राइएज और आपातकालीन प्रतिक्रिया (DERR) समितियों के गठन के निर्देश जारी किए हैं.

वार्ड स्तर पर बनाई जाने वाली इन 198 समितियों में वृहद बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP), वार्ड समिति के सदस्य, सरकारी अधिकारी, वॉलेंटियर्स, आरडब्ल्यूए और नागरिक समाज संगठन के अधिकारी होंगे.

बता दें मुंबई में BMC ने इस मॉडल के आधार पर कोरोना की दूसरी लहर में अच्छी कामयाबी हासिल की है.

राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव, एन मंजूनाथ प्रसाद द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक, "इससे डिसेंट्रलाइजेशन में मदद मिलेगी और वार्ड स्तर के कोविड प्रबंधन की बेहतर मॉनिटरिंग उपलब्ध हो सकेगी."

निर्देश में यह भी कहा गया है कि कर्नाटक प्रशासन, मुंबई सहित कई शहरों में वार्ड स्तर की कम्यूनिटी टेस्टिंग को एक सफल कदम के तौर पर देखता है. लेकिन फिलहाल जारी BU नंबर जनरेशन प्रोसेस के बाद केंद्रीकृत ICMR प्रक्रिया के चलते टेस्ट के नतीजों को बताने में देरी हो रही है.

इस तरह होगा WDC का संचालन

यह भी कहा गया है कि वार्ड DETP समितियों (WDC) का बेंगलुरू नगर निगम के सभी 198 वार्डों में गठन किया जाएगा और उन्हें कोविड प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों सौंपी जाएंगी.

WDC का नेतृत्व एक वार्ड नोडल अधिकारी द्वारा किया जाएगा. वार्ड स्तर के वॉर रूम भी बनाए जाएंगे.

WDC की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यह है कि यह बंगलुरू में कोविड रोगियों या उनके संबंधियों के लिए सरकार के साथ कांटेक्ट का पहला प्वाइंट बन जाए. इन वार्ड स्तर की समितियों का ध्यान लोगों को अस्पताल के बिस्तर तक पहुंच बनाने में मदद करना होगा.

एक सक्षम और प्रशिक्षित डॉक्टर ट्राइएज सेंटर का मार्गदर्शन कर सकते हैं जबकि डॉक्टर, इंटर्न, एमबीबीएस, डेंटल, नसिर्ंग या आयुष डॉक्टरों के अंतिम वर्ष के छात्र भी ट्राइएज सेंटर में होंगे. यह केंद्र डब्ल्यूडीसी के साथ काम करेगा.

ट्राइएज सेंटर द्वारा आईसीयू, अस्पताल, सीसीसी या घर पर रहने वालों के डेटा को बनाए रखा जाएगा.

दिल्ली के कोविड मामलों के प्रबंधन पर 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणियां की थीं. कोर्ट ने ऑक्सीजन आपूर्ति प्रबंधन में सफलताओं के लिए केंद्र सरकार को मुंबई को देखने के लिए कहा था. अब तक, मुंबई में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है.

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