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मुश्‍ताक अहमद नामित आतंकवादी घोषित, कंधार प्लेन हाईजैक के दौरान हुआ था रिहा

जरगर का जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट से संबध है और वो अवैध हथियार और गोला-बारूद प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भी गया था.

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<div class="paragraphs"><p> IC-814 को कांधार एयरपोर्ट </p></div>
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IC-814 को कांधार एयरपोर्ट

. (फोटो: Reuters)

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गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ लटरम को आतंकवादी घोषित किया है. जरगर उन तीन आतंकवादियों में शामिल था, जिसे 1999 में अपहृत आईसी-814 में बंधकों के बदले भारत सरकार ने रिहा किया था.

बुधवार को जारी एक गजट अधिसूचना के मुताबिक, जरगर का जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट से संबध है और वो अवैध हथियार और गोला-बारूद प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भी गया था. उसका आतंकी संगठन 'अल-उमर-मुजाहिदीन' यूएपीए की पहली अनुसूची के तहत एक आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध है.

पाकिस्तान से अभियान

मंत्रालय की अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि जरगर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान से लगातार अभियान चला रहा है और हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, आतंकवादी हमलों की योजना और निष्पादन और आतंकी फंडिंग सहित विभिन्न आतंकी अपराधों में शामिल रहा है.

अधिसूचना में आगे कहा गया है, "मुश्ताक अहमद जरगर न केवल भारत के लिए, बल्कि दुनिया भर में, 'अल कायदा' और 'जैश-ए मोहम्मद' जैसे कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों के संपर्क और निकटता के साथ शांति के लिए खतरा है.

श्रीनगर में नौहट्टा में जामा मस्जिद के पास गनी मोहल्ला का निवासी 52 साल जरगर पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन 'अल उमर-मुजाहिदीन' का संस्थापक और मुख्य कमांडर है और उसपर अनंतनाग आतंकी हमले के पीछे का व्यक्ति होने का संदेह है. 13 जून 2019 को हुए हमले में सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे.

गजट नोटिफिकेशन में कहा गया है, "अब, इसलिए, सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 35 की उप-धारा (1) के खंड (ए) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ लटरम को आतंकवादी घोषित किया है.

76 यात्रियों और चालक दल के 15 सदस्यों के साथ एयर इंडिया की उड़ान आईसी-814 का 24 दिसंबर, 1999 को अपहरण कर लिया गया था, जब यह काठमांडू से दिल्ली जा रही था. अफगानिस्तान के कंधार में रुकने के लिए मजबूर होने से पहले उड़ान को अमृतसर और लाहौर में रोका गया था. अपहरण संकट एक सप्ताह तक बरकरार रहा और भारत के तीन आतंकवादियों - मसूद अजहर, उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा करने के बाद ही यह संकट समाप्त हो पाया था.

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