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'अगर आप (बीएचयू स्टूडेंट) मुझे एक मौका दोगे, तो इस बात की संभावना है कि आपके विरोध-प्रदर्शन की जरूरत नहीं होगी.'
राजस्थान के जयपुर निवासी 28 वर्षीय फिरोज खान उस वक्त काफी उत्साहित थे, जब उन्हें बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में असिस्टेंट संस्कृत प्रोफेसर का पद मिला था. हालांकि वह इसी उत्साह के साथ पढ़ाना शुरू करते, इससे पहले ही बीएचयू के छात्रों ने उनकी नियुक्ति के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया.
खान ने बताया, ''मुझे याद है कि जब मैं अपना इंटरव्यू देकर निकला था, तो छात्रों की भीड़ जुट गई थी, लेकिन उन्होंने मुझसे कुछ कहा नहीं था.'' छात्रों के विरोध-प्रदर्शन की वजह से खान अभी तक एक भी क्लास नहीं ले पाए हैं. हालांकि उन्होंने ये उम्मीद नहीं छोड़ी है कि स्थिति बदलेगी और उनके छात्र उनके आसपास होंगे.
खान ने अपनी मौजूदा लोकेशन के बारे में ना बताते हुए क्विंट से कहा,
फिरोज खान ने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से संस्कृत में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है. उन्होंने गेस्ट फेकल्टी के तौर पर इस संस्थान में पढ़ाया भी था.
फिरोज के पिता भी संस्कृत के जानकर हैं. फिरोज जब स्कूल में थे, तब उनके पिता ने उन्हें संस्कृत सीखने के लिए प्रेरित किया था. हालांकि विरोध-प्रदर्शनों की वजह से फिरोज के पिता चाहते हैं कि फिरोज लौटकर घर आ जाएं.
इस बारे में फिरोज ने बताया,
फिरोज इसलिए भी बीएचयू छोड़ना नहीं चाहते क्योंकि इसके साथ उनकी अच्छी यादें जुड़ी हुई हैं. वह कैंपस में अपने पहले दौरे के के बारे में बताते हैं, ''साल 2017 में मुझे बीएचयू के संस्कृत महोत्सव में बुलाया गया था. सबकुछ बहुत यादगार था. मुझे सुविधापूर्वक एक गेस्ट हाउस में ठहराया गया था. मेरी सभी जरूरतों का ध्यान रखा गया था. मुझे काफी सम्मान भी मिला था.''
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